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22 फ़रवरी 2010

चीनी उत्पादन में अव्वल ही रहेगा महाराष्ट्र

चीनी उत्पादन के मामले में तीन साल पहले अव्वल बने महाराष्ट्र का यह तमगा इस सीजन में भी बने रहने की संभावना है। इस सीजन में महाराष्ट्र में जहां 55 लाख टन चीनी उत्पादन की उम्मीद है, वहीं उत्तर प्रदेश में 21।6 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है। वर्ष 2006-07 के दौरान महाराष्ट्र में उत्पादन बढ़ने से वह उत्तर प्रदेश से आगे निकल गया था।महाराष्ट्र के कोऑपरटिव मिलों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इस सीजन के दौरान चीनी का 20 फीसदी ज्यादा उत्पादन किया है। 2009-10 में अक्टूबर से सितंबर के दौरान महाराष्ट्र में गन्ने की अधिक पेराई से चीनी का उत्पादन 55 लाख टन तक पहुंच जाने की संभावना है। पिछले सीजन में उत्पादन 46 लाख टन रहा था। महाराष्ट्र स्टेट कोऑपररिटव शुगर फैक्ट्री फेडरशन के मैनेजिंग डॉयरक्टर प्रकाश नायकनवारे ने कहा कि चालू सीजन में चीनी का 55 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि नवंबर से गन्ने की पेराई शुरू होने के बाद से महाराष्ट्र में 43.6 लाख टन चीनी का अब तक उत्पादन हो चुका है। उनके मुताबिक इस साल पिछले सीजन की तुलना में गन्ने के उत्पादन में मामूली कमी की संभावना जताई गई थी। लेकिन अभी तक मिलों का उत्पादन काफी अच्छा रहा है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र 2006-07 में चीनी उत्पादन के मामले में अव्वल स्थान पर पहुंच गया था। उस समय महाराष्ट्र का उत्पादन 91 लाख टन रहा था जबकि उत्तर प्रदेश में 84 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।उत्तर प्रदेश की ज्यादातर चीनी मिलें प्राइवेट कंपनियों के हाथों में है, जिससे चालू सीजन के अंत तक इन मिलों से चीनी का उत्पादन 41.6 लाख टन तक रहने की संभावना है जो पिछले साल के मुकाबले एक लाख टन ज्यादा रहेगा। पिछले सीजन के दौरान उत्पादन 40.6 लाख टन रहा था। उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त सुधीर बोबडे ने कहा कि गत 17 फरवरी तक 398 लाख टन गन्ने की पेराई से 35.2 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। उन्होंने कहा कि कुल 128 चीनी मिलों में 40 मिलों में गन्ने की पेराई बंद हो चुकी है। बाकी 88 मिलों से फरवरी के अंत या मार्च के प्रथम सप्ताह तक चीनी का उत्पादन जारी रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि आयातित रॉ शुगर राज्य में लाने पर पाबंदी होने से मिलें राज्य में पैदा हुए गन्ने की पेराई में ज्यादा रुचि ले रही हैं। (बिज़नस भास्कर..)

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