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20 फ़रवरी 2010

गेहूं के दाम विश्व बाजार के अनुरूप हों

फ्लोर मिलों के संगठन ने मांग की है कि गेहूं के मूल्य निर्धारण के लिए तंत्र विकसित किया जाना चाहिए ताकि खुले बाजार के भाव और किसानों से खरीद के लिए तय होने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अंतरराष्ट्रीय मूल्य के अनुरूप तय हो सकें।रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरशन ऑफ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष आदि नरायण गुप्ता ने कहा कि देश में ऐसी व्यवस्था किए जाने की जरूरत है कि एमएसपी और खुले बाजार के दाम अंतरराष्ट्रीय मूल्य के साथ जुड़ सकें। उन्होंने कहा कि किसानों को मिलने वाले मूल्य को एमएसपी से अलग किया जाना चाहिए क्योंकि एमएसपी का सीधा असर खुले बाजार पर पड़ता है। घरलू भाव अंतरराष्ट्रीय मूल्य से जुड़ जाते हैं तो गेहूं की फ्यूचर ट्रेडिंग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे गेहूं के मूल्य में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी। विश्व बाजार में इस समय गेहूं के दाम वर्ष 2008-09 252 डॉलर प्रति टन से 31 फीसदी घटकर 173 डॉलर प्रति टन रह गए हैं। लेकिन घरलू बाजार में गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं। घरलू बाजार के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम करीब पचास फीसदी हैं। घरलू बाजार में ऊंचे एमएसपी के कारण दाम बढ़ रहे हैं। वर्ष 2008-09 में एमएसपी बढ़ाकर 1080 रुपये प्रति क्विंटल किया गया। इसके बाद देश में गेहूं का बफर स्टॉक 400 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। गेहूं पर यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री डॉ। एस. नागाजरुन ने कहा कि अगले जून तक गेहूं का बफर स्टॉक और बढ़ जाएगा।ऑस्ट्रेलिया से गेहूं का आयात संभवअहमदाबाद ह्व अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष के दौरान भारतीय फ्लोर मिलें ऑस्ट्रेलिया से उच्च प्रोटीन वाले गेहूं का आयात कर सकते हैं। एक प्रमुख ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म के अधिकारियों के अनुसार मिलें दो से ढाई लाख टन गेहूं का आयात कर सकती है। यह आयात 280 से 300 डॉलर प्रति टन के भाव पर होगा। इस समय भी ऑस्ट्रेलियाई गेहूं के दाम इसी स्तर पर चल रहे हैं। अधिकारी के मुताबिक यह आयात मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया से ही होगा क्योंकि यूक्रेन का गेहूं भारतीय क्वालिटी मानकों के अनुरूप नहीं है। भारत में उच्च प्रोटीन का गेहूं गुजरात और राजस्थान में पैदा होता है लेकिन इस साल वहां से गेहूं की सप्लाई पर्याप्त न होने के कारण आयात की जरूरत होगी। (बिज़नस भास्कर)

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