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15 मार्च 2010

खुले बाजार में खाद्यान्न की बिक्री रही धीमी

नई दिल्ली March 13, 2010
केंद्र सरकार की खुले बाजार में खाद्यान्न की उपलब्धता बढ़ाने की कोशिशें धूमिल पड़ती नजर आ रही हैं। खुदरा और बड़े खरीदारों ने सरकार की योजना के प्रति सुस्ती दिखाई है।
अक्टूबर 2009 से मार्च 2010 के बीच 40.8 लाख टन गेहूं बिक्री का कोटा तय किया गया था, जिसमें से केवल 15.4 लाख टन (38 प्रतिशत) का ही उठान हुआ है। ऐसा ही कुछ चावल के मामले में भी हुआ है।
कुल 10 लाख टन चावल का कोटा तय किया गया था, जिसमें से 4,47,000 टन चावल का उठान हुआ है। गेहूं की सरकारी खरीद करने वाले राज्यों में सरकार 1 अप्रैल से गेहूं की बिक्री रोक सकती है।
खाद्यान्न खरीद एवं वितरण करने वाले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक अधिकारी ने कहा, 'यह योजना 1 अप्रैल को समाप्त हो रही है। हालांकि खाद्य मंत्रालय इसकी अवधि आगे भी बढ़ा सकता है। बहरहाल इस अवधि का विस्तार केवल उन राज्यों के लिए होगा, जो राज्य गेहूं की सरकारी खरीद नहीं करते हैं। इसकी वजह यह है कि हम पुराने गेहूं की बिक्री को रोकरना चाहते हैं, जिससे नया गेहूं अप्रैल तक खरीदा जा सके।'
छह महीने की अवधि के दौरान बड़े खरीदारों के लिए 20.81 लाख टन गेहूं का आवंटन किया गया था। इसमें से 11.74 लाख टन या 56 प्रतिशत की ही बिक्री की अनुमति एफसीआई द्वारा मिल सकी। खुदरा बिक्री के मामले में (राज्य सरकारों की एजेंसियों द्वारा बिक्री के लिए जारी किया जाने वाला खाद्यान्न) 20 लाख टन अनाज में से सिर्फ 3,72,000 टन ही बिक सका।
इसी तरह से खुदरा बिक्री के लिए 10 लाख टन का आवंटन किया गया था, जिसमें से 4,47,000 टन की ही उठान हुई। एफसीआई के अधिकारियों ने कहा कि मार्च में भी गेहूं का उठान कम रहने के अनुमान हैं, क्योंकि गेहूं की नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी और बड़े खरीदार कीमतों में गिरावट का इंतजार करेंगे।
सरकार ने घरेलू बाजार में खाद्यान्न की उपलब्धता बढ़ाने के लिए खुले बाजार में बिक्री की योजना बनाई थी, जिससे बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाया जा सके। पिछले 37 साल में सबसे खराब मॉनसून रहने की वजह से मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ गया था, क्योंकि इससे खरीफ की फसलें प्रभावित हुई थीं। आपूर्ति की वजह से कीमतों में स्थिरता लाने में मदद मिली।
अधिकारी ने कहा, 'बड़े खरीदारों के लिए आवंटन को देखें तो प्रतिक्रिया सकारात्मक रही। खुदरा बिक्री के मामले में, जहां राज्य सरकारों को उठान सुनिश्चित करनी थी और उन्हें अपनी दुकानों के माध्यम से बेचना था, प्रतिक्रिया बहुत खराब रही। ज्यादातर राज्यों ने बुनियादी सुविधा न होने की वजह से खरीदारी में सुस्ती दिखाई।'
ढीला रवैया
अक्टूबर 2009 से मार्च 2010 के लिए 40।8 लाख टन गेहूं बिक्री का कोटा तय किया गया था, जिसमें से सिर्फ 15.4 लाख टन का उठान हुआराज्यों द्वारा खाद्यान्न की उठान सबसे कम (बीएस हिंदी)

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