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15 मार्च 2010

अधिक उपज देने वाली मूंग की किस्म तैयार

देश में दलहन की पैदावार न बढ़ने से दालों के आयात पर हमारी निर्भरता लगातार बढ़ रही है। ऐसे में दलहनों की पैदावार बढ़ाने लिए अधिक उपज वाली किस्में विकसित करना जरूरी है। इसे देखते हुए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के जेनेटिक और प्लांट ब्रीडिंग विभाग ने मूंग की अधिक उपज वाली मालवीय जनकल्याणी (एचयूएम 16) नई किस्म विकसित की है। इस किस्म की खासियत है कि यह महज दो माह में पककर तैयार हो जाती है। किसान इसकी बुवाई गेहूं की कटाई के बाद यानी अप्रैल माह में भी कर सकते हैं। जिससे बरसात से पहले इसकी कटाई की जा सके। इस तरह इस किस्म की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। इसके अलावा इस किस्म में अन्य किस्मों के मुकाबले 25 फीसदी से अधिक प्रोटीन की मात्रा होती है। यह किस्म विषाणु रोग यानी पीला मोजैक से ग्रसित नहीं होने के कारण भी काफी फायदेमंद है। इस किस्म का दाना मूंग की अन्य किस्मों के मुकाबले ज्यादा बड़ा है, चमकीला और आकर्षक है। इस किस्म के 100 दाने का वजन 32 ग्राम है, जबकि अन्य किस्मों के इतने ही दानों का वजन 17.6 ग्राम है। उपरोक्त विशेषताओं की वजह से बाजार में इस किस्म की कीमत भी अधिक मिलने की उम्मीद है। भूमि की तैयारी मूंग की खेती के लिए दोमट व बलुई दोमट भूमि जिसमें जल निकास की समुचित व्यवस्था हो उपयुक्त मानी जाती है। खेत को किसी मिट्टी पलट हल से जुताई करके एक या दो बार देसी हल या हैरो से जोतकर भूमि को भुरभुरा कर समतल कर लेना चाहिए। बुवाई का समय जो किसान गेहूं की कटाई के बाद मूंग की खेती करना चाहते है, वे इसकी बुवाई अप्रैल में कर सकते हैं। खरीफ में इसकी बुवाई का उपयुक्त समय 25 जुलाई से 10 अगस्त के बीच अच्छा माना जाता है। बीज दर खरीफ में इसकी बुवाई करने पर एक हैक्टेयर में 15 किलोग्राम बीज बोना चाहिए। गेहूं की कटाई के बाद बुवाई करने पर 20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से बुवाई करनी चाहिए। उर्वरकों का प्रयोग मालवीय जनकल्याणी की मूंग की फसल में दस टन सड़ी हुई गोबर की खाद बुवाई के 10 से 15 दिन पहले डालनी चाहिए या 250 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट व 40 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करना होता है। ¨सगल सुपर फास्फेट की जगह 100 किलोग्राम डीएपी और 200 किलोग्राम जिप्सम प्रति हैक्टेयर की दर डाला जा सकता है। खाद की संपूर्ण मात्रा अंतिम जुताई के समय ही खेत में डाल देनी चाहिए।सिंचाई गर्मी में पहली सिंचाई बुवाई के 25 दिन के बाद करनी होती है। उसके बाद 10-15 दिन के अंतराल पर आवश्यकतानुसार एक या दो सिंचाई कर देनी चाहिए। यदि जमाव नमी के अभाव में ठीक न हो तो बुवाई के एक सप्ताह के अंदर हल्की सिंचाई कर देने से जमाव ठीक हो जाता है। खरपतवार नियंत्रण पहली सिंचाई के बाद उगे हुए खरपतवार निकाल देने से भूमि में वायु का संचार बढ़ जाता है, जिससे पौधे की जड़ों में क्रियाशील जीवाणु सक्रिय होकर वातावरणीय नाइट्रोजन को एकत्र करने में सहायता मिलती है। खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए बुवाई के बाद व जमाव से पहले पेंडीमेथलीन 3.3 लीटर, 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं।उपज इस किस्म से खरीफ सीजन में 10-15 क्विटल प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है। वहीं गेहूं की कटाई के बाद बुवाई करने पर इससे 15-18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के हिसाब से पैदावार प्राप्त होती है।आर्थिक लाभ मूंग की खेती करना किसानों के लिए काफी फायदेमंद है। इसकी खेती के द्वारा किसान एक हैक्टेयर से 30-40 रुपये का लाभ कमा सकते हैं। (बिज़नस भास्कर)

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