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31 मार्च 2010

जारी रह सकती है नेचुरल रबर की तेजी

आर्थिक विकास की तेजी के चलते अगले वित्त वर्ष 2010-11 में टायर उद्योग से नेचुरल रबर की खपत 9 फीसदी बढ़ने का अनुमान है जबकि इस दौरान उत्पादन 8.6 फीसदी कम होने की संभावना है। मांग के मुकाबले उत्पादन कम होने के कारण ही कोट्टायम में नेचुरल रबर के दाम रिकार्ड स्तर 152-154 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। उधर विदेशी बाजार में इसकी कीमतें भारत से भी ज्यादा हैं इसलिए आयात पड़ते भी नहीं लग रहे हैं। वैसे भी मार्च से अगस्त तक उत्पादन का सुस्त सीजन रहेगा। ऐसे में भविष्य में मौजूदा कीमतों में तेजी के ही आसार हैं। रबर के भाव में आई तेजी के कारण ही पिछले तीन महीने में टायरों के दाम करीब चार-पांच फीसदी बढ़े चुके हैं। यही हाल रहा तो टायर और महंगे ही होंगे।पिछले एक साल में नेचुरल रबर की कीमतें दोगुनी हो चुकी है। मार्च 2009 में आरएसएस-4 और आरएसएस-5 के दाम क्रमश: 75 और 74 रुपये प्रति किलो थे। जबकि शनिवार को कीमतें 154-152 रुपये प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। पिछले एक महीने में ही इनकी कीमतों में करीब 12.5 फीसदी की तेजी आ चुकी है। जबकि उधर सिंगापुर कमोडिटी एक्सचेंज (सीकॉम) में नेचुरल रबर के दाम बढ़कर 154-155 रुपये प्रति किलो (भारतीय मुद्रा में) हो गए हैं।एनएमसीई एक्सचेंज में अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में चालू महीने में 6.8 फीसदी की तेजी आकर 26 मार्च को भाव 157 रुपये प्रति किलो हो गए। रुपये के मुकाबले डॉलर की कमजोरी और विदेशी में दाम भारत के मुकाबले ज्यादा होने से आयात पड़ते भी नहीं लग रहे हैं जिसका असर कीमतों पर देखा जा रहा है। देश में नेचुरल रबर की 62 फीसदी खपत टायर उद्योग में होती है। वित्त वर्ष 2010-11 में टायर उद्योग की मांग बढ़कर छह लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 5.5 लाख टन से ज्यादा है। रबर बोर्ड के अनुसार वर्ष 2010-11 में देश में नेचुरल रबर का उत्पादन 901,680 टन होने का अनुमान है जबकि इस दौरान कुल खपत बढ़कर 986,860 टन होने की संभावना है। चालू वित्त वर्ष के पहले ग्यारह महीनों (अप्रैल से फरवरी) के दौरान कुल उत्पादन 4.3 फीसदी कम हुआ है। इस दौरान उत्पादन घटकर 780,750 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल 816,200 टन का उत्पादन हुआ था। मार्च से अगस्त तक सुस्त सीजन होने के कारण नेचुरल रबर का उत्पादन कम रहता है। फरवरी में नेचुरल रबर का उत्पादन 51,500 टन का हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी में 48,259 टन का ही उत्पादन हुआ था।उत्पादन के मुकाबले मांग ज्यादा होने से चालू वित्त में अप्रैल से फरवरी तक भारत में आयात बढ़ा है। इस दौरान निर्यात फीका रहा। जिससे घरलू बाजार में फरवरी के आखिर में स्टॉक बढ़कर पिछले साल के 216,780 टन के बजाय 269,750 टन हो गया। लेकिन आगे कीमतों में तेजी की संभावना से उत्पादकों और स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है। अप्रैल से फरवरी के दौरान कुल आयात पिछले साल के 71 हजार टन से बढ़कर 1.57 लाख टन का हुआ है। इस दौरान भारत से निर्यात 44,964 टन से घटकर 15,358 टन का ही हुआ है।rana@businessbhaskar.netबात पते कीभविष्य में कीमतों में तेजी के ही आसार हैं। रबर में तेजी के कारण ही तीन महीने में टायरों के दाम करीब भ्-म् फीसदी बढ़े चुके हैं। यही हाल रहा तो टायर और महंगे ही होंगे। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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