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20 मार्च 2010

मक्का की कीमतें घटने के आसार

रबी मक्का की बिहार और आंध्र प्रदेश में आवक बढ़ने से अप्रैल महीने से इसकी कीमतें घटने के आसार हैं। भारत के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम कम होने के कारण भारत से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। जबकि नई फसल को देखते हुए घरलू बाजार में पोल्ट्री फीड निर्माताओं के साथ स्टॉर्च मिलों की मांग सीमित मात्रा में है। वायदा बाजार में पिछले चार दिनों में इसके दाम 2।4 फीसदी घटे हैं। हालांकि हाजिर में भाव स्थिर बने हुए हैं। पर आने वाले दिनों में उत्पादक राज्यों में आवक बढ़ने पर मौजूदा कीमतें करीब आठ-दस फीसदी तक गिर सकती हैं। वायदा में नरमीनेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) में अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में पिछले चार दिनों में मक्का के दाम 2.4 फीसदी घट चुके हैं। 15 मार्च को अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में भाव 899 रुपये प्रति `िंटल थे, जो कि शुक्रवार को घटकर 877 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अप्रैल महीने के वायदा अनुबंध में 17,490 लॉट के खड़े सौदे हुए हैं। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि बिहार की मंडियों में नई फसल की आवक शुरू हो गई है। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में आवक बढ़ जाएगी, जिससे मौजूदा कीमतों में गिरावट दिख सकती है। विदेशों में दाम कमयू एस ग्रेन काउंसिल में भारत के प्रतिनिधि अमित सचदेव ने बताया कि मक्का के प्रमुख उत्पादक देशों अमेरिका, अर्जेंटीना और ब्राजील में उत्पादन ज्यादा होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव 197-198 डॉलर प्रति टन चल रहे हैं। जबकि रुपये के मुकाबले डॉलर कमजोर होकर 45.47 के स्तर पर आ गया है। इसलिए मौजूदा भावों में भारत से मक्का निर्यातकों को निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। इसीलिए घरलू उत्पादन पिछले साल से कम होने के बावजूद भी कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। उधर शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबीओटी) में जुलाई वायदा अनुबंध में पिछले सप्ताह 2.84 फीसदी की गिरावट आकर भाव 143.78 डॉलर प्रति टन रहे। सचदेव के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का का बड़े पैमाने पर एथनॉल में उपयोग होता है लेकिन इसके उपयोग की मात्रा कच्चे तेल के दाम पर निर्भर करती है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 81.79 डॉलर प्रति बैरल है। अगर कच्चे तेल की कीमतों में पांच से सात डॉलर प्रति बैरल की और बढ़ोतरी आएगी तो फिर मक्का का एथनॉल में उपयोग बढ़ जायेगा, जिसका असर अंतरराष्ट्रीय बाजार में मक्का की कीमतों पर पड़ेगा।रबी में पैदावार ज्यादाकृषि मंत्रालय के अनुसार रबी में मक्का का उत्पादन 56.4 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 5.61 लाख टन से ज्यादा है। हालांकि रबी में मक्का की बुवाई पिछले साल के 11.75 लाख हैक्टेयर से घटकर 11.61 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, लेकिन उत्पादक राज्यों में मौसम अनुकूल रहा है। स्नससे प्रति हेक्टेयर पैदावार में बढ़ोतरी होने की संभावना है। खरीफ और रबी को मिलाकर कुल उत्पादन पिछले साल के 197.3 लाख टन से घटकर 173 लाख टन ही होने का अनुमान है।बिहार में नई फसल की आवक शुरूबिहार की नौगछिया मंडी के मक्का व्यापारी पवन अग्रवाल ने बताया कि बिहार की उत्पादक मंडियों में नई फसल की छिटपुट आवक शुरू हो गई है। इस समय बिल्टी का भाव 950 रुपये प्रति `िंटल चल रहा है। चूंकि बिहार से ज्यादातर मांग उत्तर भारत की ही रहती है। मौजूदा भावों में बिहार से दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के पोल्ट्री और स्टॉर्च निमार्ताओं के पड़ते नहीं लग रहे हैं इसलिए कीमतों में करीब 75-100 रुपये प्रति `िंटल की गिरावट आने की संभावना है।फीड निर्माताओं की मांग कमजोरकोलकाता के प्रमुख व्यापारी बिमल बंगानी ने बताया कि उत्तर भारत के पोल्ट्री फीड निर्माताओं के साथ स्टॉर्च मिलर बिहार की फसल को देखते हुए कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र से खरीद कम कर रहे हैं। इसीलिए इन राज्यों में भाव स्थिर बने हुए हैं। आंध्रप्रदेश की मंडियों में मक्का का भाव 860 रुपये, कर्नाटक की मंडियों में 850-860 रुपये और महाराष्ट्र की मंडियों में 840-850 रुपये प्रति `िंटल चल रहे हैं। दिल्ली बाजार में इस समय भाव 1050-1060 रुपये प्रति `िंटल हैं लेकिन मांग कमजोर होने से मौजूदा कीमतों में गिरावट के आसार हैं। मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 840 रुपये प्रति `िंटल है। बिहार की मंडियों में आवक का दबाव बनने पर मक्का के दाम एमएसपी से भी नीचे जाने की आशंका है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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