कुल पेज दृश्य

24 अप्रैल 2010

उप्र के गेहूं किसानों पर दोहरी मार

नई दिल्ली April 23, 2010
उत्तर प्रदेश के गेहूं किसानों पर दोतरफा मार पड़ रही है। मौसम की बेरुखी से उत्पादन में गिरावट आई है तो दूसरी तरफ रोजाना मंडियों में गेहूं के भाव कम होते जा रहे हैं।
सप्ताह पहले उत्तर प्रदेश की 10 मंडियों में गेहूं के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (1100 रुपये प्रति क्विंटल) से कम थे। कृषि उपज विपणन समिति के मुताबिक अब यह संख्या बढ़कर 15 से अधिक हो गई है। किसानों से कहा जा रहा है कि उनके गेहूं काफी कमजोर एवं पतले है, इसलिए उसकी सरकारी खरीद नहीं हो सकती।
मुरादनगर के किसान राम बहादुर ने बताया कि उनके आसपास हापुड़, मोदीनगर एवं मुरादनगर तीन मंडियां हैं। लेकिन इन सभी में गेहूं की खरीदारी 980-1025 रुपये प्रति क्विंटल तक की जा रही है। मंडियों में गेहूं के तौल के लिए किसानों को चार-चार दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है।
ऐसे में हार कर किसान आढ़ती के हाथ कम कीमत पर गेहूं बेच कर चला आता है। राम बहादुर की तरह ओम प्रकाश ने भी 20 क्विंटल से अधिक गेहूं 1000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा है।
वे बताते हैं, 'मंडी में सबसे पहले तो हमें यह कहा गया कि उनके गेहूं की सरकारी खरीद नहीं हो सकती क्योंकि गेहूं के दाने 25 फीसदी कमजोर है जबकि 4-5 फीसदी तक कमजोर गेहूं की ही सरकारी खरीद हो सकती है। मंडियों में बोरी की भी भारी कमी है।'
यही हाल चंदौसी, संभल, बहरी, अमरोहा, रायबरेली एवं मुरादाबाद जैसी मंडियों का है। चंदौसी मंडी में अपने गेहूं को बेचने वाले हरपाल सिंह कहते हैं, 'यहां पर गेहूं के भाव 950-1000 रुपये तक चल रहे हैं। किसानों को खाद, बीज एवं अन्य लागत के पैसे भी चुकाने होते हैं, इसलिए किसान जल्दी में होता है। इसका फायदा मंडी में मौजूद आढ़ती उठा रहे हैं।'
आगरा से लेकर गाजियाबाद त क गेहूं की उत्पादकता में 25 फीसदी से अधिक की कमी बताई जा रही है। पिछले साल एक एकड़ में कम से कम 30 क्विंटल की पैदावार हुई थी जबकि इस साल यह पैदावार अधिकतम 20 क्विंटल है।
किसानों की मांग है कि पंजाब एवं हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी सरकार की तरफ से समर्थन मूल्य दिलवाने की व्यवस्था होनी चाहिए। राम बहादुर कहते हैं, '1100 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिलने पर मुझे 2000 रुपये का नुकसान नहीं होता।'
खरीद 6 फीसदी बढ़ी
गेहूं की सरकारी खरीद इस बार तेज है। चालू सत्र में पहली अप्रैल से अब तक 167.88 लाख टन गेहूं सरकारी गोदामों के लिए खरीदा जा चुका है जो पिछले साल इसी दौरान की खरीद से 6 प्रतिशत अधिक है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 2009-10 विपणन वर्ष की समान अवधि में 157.80 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। 2010-11 विपणन वर्ष में पिछले वर्ष की 253.85 लाख टन की रिकॉर्ड खरीद की तुलना में 262 लाख टन सरकारी खरीद होने का अनुमान है।
शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब ने इस साल अभी तक सबसे अधिक 84.34 लाख टन गेहूं, हरियाणा ने 56.15 लाख टन और मध्य प्रदेश ने 21.62 लाख टन गेहूं की खरीद की है।
उत्पादकता के साथ गेहूं के भाव में भी गिरावट
उत्तर प्रदेश की 15 मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर बिक रहा है गेहूंगेहूं की खरीद 980-1025 रुपये प्रति क्विंटल परकिसानों से कहा जा रहा है कि कमजोर व पतला है गेहूंगेहूं की तौल के लिए करना पड़ रहा है 4 दिन इंतजारआढ़तियों को औने-पौने भाव गेहूं बेचने को मजबूर किसान (बीस हिंदी)

कोई टिप्पणी नहीं: