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26 अप्रैल 2010

तेज गर्मी की चपेट में आई गेहूं की फसल

देश का अधिकांश इलाका इन दिनों भीषण गर्मी की चपेट में है। इस बार गर्मी ज्यादा पड़ सकती है इसका कुछ-कुछ अहसास तो होली के बाद ही होने लगा था। लेकिन सबसे बुरी खबर यह है कि तेज गर्मी ने रबी की प्रमुख फसल गेहूं को अपनी चपेट में ले लिया है। फसल पकने के समय अचानक गर्मी बढ़ जाने से दाने ठीक से तैयार नहीं हो सके। इस वजह से देश में गेहूं का उत्पादन सरकार के अनुमान, 820 लाख टन से कम रहने की आशंका बन गई है।उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं। यहां उपज प्रति हैक्टेयर 10 से 15 फीसदी कम रह सकता है। पंजाब के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक गुरदयाल सिंह के मुताबिक मार्च में ही तेज गर्मी के चलते मालवा अंचल में फसल को जरूरत के मुताबिक सिंचाई का पानी उपलब्ध नहीं हो सका। इसमें बठिंडा, मुक्तसर व संगरूर के इलाके शामिल हैं। नहरों में पानी कम होने से भी किसानों को दिक्कत आई है। सूत्रों के मुताबिक पंजाब में इस बार उत्पादन में डेढ़ से दो क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की कमी आई है। हरियाणा के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक आरएस सोलंकी के मुताबिक उत्पादन पांच से सात फीसदी तक घट सकता है।हालांकि करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान निदेशालय के परियोजना निदेशक डॉ। एस.एस. सिंह का कहना है कि नवंबर के आखिर में बोई गई फसल पर जरूर मौसम का प्रभाव पड़ा है। लेकिन एक तो रकबा बढ़ा है, दूसरा इस बार कहीं बीमारी नहीं लगी। मार्च के आखिरी में जब तापमान बढ़ने लगा था तब कटाई शुरू हो चुकी थी। इसीलिए उत्पादन में कमी की आशंका नहीं है। देश में गेहूं का उत्पादन 820 लाख टन के आसपास ही रहेगा। लेकिन किसान गेहूं अनुसंधान निदेशालय से इत्तेफाक नहीं रखते। दिल्ली में नरला के किसान अजय मान ने बताया कि पिछले साल प्रति एकड़ उत्पादन 18 `िंटल हुआ था, लेकिन इस बार यह16 `िंटल प्रति एकड़ रह गया है। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में सामंता की गढ़ी गांव के गेहूं किसान लखपत सिंह ने बताया कि पिछले साल प्रति बीघा 8 से 10 मन (एक मन-40 किलो) गेहूं का उत्पादन हुआ था। लेकिन पकाई प्रभावित होने से इस बार उत्पादन पांच से सात मन बैठ रहा है। हरियाणा के सोनीपत जिले के कुमासपुर गांव के गेहूं किसान कृष्ण आंतिल ने बताया कि पिछले साल म् एकड़ में 240 मन गेहूं का उत्पादन हुआ था। इस बार यह घटकर सिर्फ 190 मन रह गया है।यही हाल राजस्थान का है। यहां गेहूं उत्पादकता में दस फीसदी तक गिरावट की आशंका है। यहां तो गेहूं का रकबा भी 21.97 लाख से घटकर 18.76 लाख हैक्टेयर रह गया। इन दोनों कारणों से इस साल पैदावार लगभग बीस फीसदी घटकर 55 लाख टन रहने के आसार हैं। पिछले साल राज्य में 70 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। हालांकि किसानों के अनुसार गिरावट ज्यादा रहेगी। श्रीगंगानगर के किसान सुरेंद्र सोमानी का कहना कि पानी की कमी के चलते इस बार दाना छोटा रह जाने से उत्पादन पिछले साल के 14 क्विंटल से घटकर आठ-नौ क्विंटल प्रति बीघा ही बैठ रही है। अलवर के किसान हीरा लाल ने बताया इस बार पैदावार सात क्विंटल बीघा रह गई, जो पिछले वर्ष लगभग आठ बीधा थी। भरतपुर के किसानों की भी यही शिकायत है। मध्य प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक प्रदेश में गेहूं की फसल इस बार बीते वर्ष के मुकाबले बेहतर है। विभाग प्रति हेक्टेयर 19 से 20 क्विंटल उत्पादन का अनुमान जता रहा है। कृषि विभाग के संचालक डीएन शर्मा के अनुसार प्रदेश में इस बार 42.5 लाख हैक्टेयर में गेहूं की फसल बोई गई और विभाग का अनुमान करीब 80 लाख टन पैदावार का है। बेहतर मौसम में इसमें सर्वाधिक निर्णायक भूमिका निभाई है। (लुधियाना से नरश बातिश, चंडीगढ़ से हरीश मानव, नई दिल्ली से आरएस राणा, जयपुर से प्रमोद शर्मा, भोपाल से धर्मेन्द्र ¨सह भदौरिया) (उसिएन्स्स भास्कर)

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