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12 अप्रैल 2010

निर्यात मांग बढ़ने से ग्वार में तेजी संभव

आनिर्यातकों की मांग बढ़ने से ग्वार और ग्वार गम की कीमतों में तेजी की संभावना है। एक अप्रैल को उत्पादक मंडियों में ग्वार का 35-40 लाख बोरी और ग्वार गम का 1.25 से 1.50 लाख टन ग्वार गम का स्टॉक बचने का अनुमान है। जबकि नई फसल आने में अभी छह महीने का समय शेष है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से ग्वार गम की मांग में बढ़ोतरी हुई है। इस समय हर महीने करीब 20 हजार टन ग्वार गम का निर्यात हो रहा है। ग्वार चूरी और कोरमा की मांग भी पहले की तुलना में बढ़ी है। ऐसे में आगामी दिनों में ग्वार और ग्वार गम की मौजूदा कीमतों में तेजी के ही आसार हैं। निवेशकों की मुनाफावसूली आने से पिछले चार-पांच दिनों में एनसीडीईएक्स पर ग्वार और गम की कीमतों में क्रमश: 2 और 1.7 फीसदी का मंदा आया है। एनसीडीईएक्स पर मई महीने के वायदा अनुबंध में ग्वार के दाम पांच अप्रैल को 2367 रुपये और ग्वार गम के भाव 4798 रुपये प्रति क्विंटल थे। शनिवार को मई महीने के वायदा अनुबंध में ग्वार के दाम घटकर 2319 रुपये और ग्वार गम के 4719 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हाजिर में घटे भावों पर स्टॉकिस्टों की बिकवाली नहीं आने से इस दौरान कीमतें स्थिर ही बनी रहीं। घरलू बाजार में ग्वार की नई फसल की आवक अक्टूबर महीने में बनेगी। जबकि प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, हरियाणा और गुजरात की मंडियों में इस समय ग्वार का मात्र 35-40 लाख बोरी का ही स्टॉक बचा हुआ है। मिलों के पास भी ग्वार गम का स्टॉक 1.25 से 1.50 लाख टन का ही है। अंतरराष्ट्रीय मांग को देखते हुए अक्टूबर में आने वाली नई फसल तक भारत से करीब 1.20 लाख टन ग्वार गम का निर्यात होने का अनुमान है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़कर करीब 85 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं तथा आगामी दिनों में इसमें और भी बढ़ोतरी की संभावना है। इसलिए ग्वार गम में भी अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ने का अनुमान है। जिससे ग्वार और ग्वार गम की कीमतों को मजबूती मिलेगी।वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुधार होने के कारण क्रूड ऑयल की मांग बढ़ रही है। क्रूड उत्पादन बढ़ने पर ग्वार गम की मांग और बढ़ सकती है। जोधपुर में ग्वार के प्लांट डिलीवरी भाव 2350-2400 रुपये और ग्वार गम के 4700-4750 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। ग्वार के मुकाबले कॉटन के दाम काफी ऊपर है। जैसा कि भविष्यवाणी की जा रही है कि चालू वर्ष में मानसून अच्छा रहेगा तो किसान ग्वार के बजाए कॉटन की बुवाई को प्राथमिकता दे सकते हैं। ऐसे में ग्वार के बुवाई क्षेत्रफल में कमी आने का अनुमान है।हर चार की उपलब्धता कम होने से ग्वार चूरी और कोरमा की मांग में भी आगामी दिनों में इजाफा होगा। वैसे चूरी और कोरमा की निर्यात मांग भी बराबर बनी हुई है। इसीलिए पिछले एक सप्ताह में इसकी कीमतों में करीब 40-50 रुपये की तेजी आकर चूरी के भाव 1300 रुपये और कोरमा के 1500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। एपीडा द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2008-09 में देश से ग्वार उत्पादों के निर्यात में 22.4 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 258,567 टन का हुआ था। स-rana@businessbhaskar.netबात पते कीदेश में 35-40 लाख बोरी ग्वार और 1.25-1.50 लाख टन ग्वार गम का ही स्टॉक बना है। अक्टूबर तक भारत से करीब 1.20 लाख टन ग्वार गम का निर्यात होने का अनुमान है। (बिज़नस भास्कर.....आर अस राणा)

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