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23 अप्रैल 2010

हाई क्वालिटी कॉटन सस्ती होना मुश्किल

केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में कॉटन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए निर्यात पर भले ही रोक लगा दी है लेकिन टैक्सटाइल उद्योग को अच्छी क्वालिटी की कॉटन के दाम ज्यादा घटने की उम्मीद नहीं है। मध्य प्रदेश में उगाई जाने वाली एच-4 और गुजरात की शंकर-6 किस्म की कॉटन खासकर अच्छी क्वालिटी कॉटन के दाम खासकर ज्यादा घटने की संभावना नहीं है। इन दोनों किस्मों की कॉटन मीडियम स्टेपल की होती है। मराल ओवरसीज के प्रेसीडेंट टी. के. बल्दुआ ने बिजनेस भास्कर को बताया कि हाई क्वालिटी का देश में स्टॉक काफी कम बचने का अनुमान है क्योंकि इसका ज्यादातर कॉटन निर्यात हो चुका है। इसकी घरेलू बाजार में उपलब्धता में कमी को देखते हुए इसके मूल्य घटने की संभावना नहीं है। हालांकि हल्की क्वालिटी की कॉटन के दाम जरूर घट सकते हैं। उद्योग के जानकारों का कहना है कि हल्की क्वालिटी की कॉटन में वेस्ट काफी ज्यादा 35 फीसदी तक निकल रहा है। एस. कुमार नेशनलवाइड लिमिटेड के चीफ ऑफरटिंग ऑफीसर ए. उपाध्याय कहते है कि निर्यात पर रोक के बाद हल्की क्वालिटी वाली कॉटन के दामों में कुछ गिरावट देखने को जरूर मिलेगी। क्वालिटी की समस्या मीडियम स्टेपल वाली शंकर-6 और एच-4 किस्म की कॉटन में ज्यादा आ रही है। शंकर-6 किस्म की कॉटन का उत्पादन गुजरात में होता है जबकि एच-4 कॉटन मध्य प्रदेश में उगाई जाती है। निर्यात बढ़ने से कॉटन के दाम पिछले सीजन के मुकाबले करीब ब्फ् फीसदी तक बढ़ गए है। निर्यात शुल्क लगने के बाद दामों में म्क्क्-8क्क् रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) की गिरावट आई थी। लेकिन निर्यात रोक लगने के बाद भी मध्य प्रदेश की सेंधवा मंडी में एच-4 किस्म कॉटन के दाम फ्8,म्क्क् रुपये प्रति कैंडी के स्तर पर बने हुए है। (बिज़नस भास्कर)

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