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09 जून 2010

इलायची में 15फीसदी गिरावट संभव

देश में इलायची की नई फसल की आवक जुलाई में शुरू हो जाएगी। उत्पादक राज्यों में अनुकूल मौसम से नए सीजन में इलायची की पैदावार पांच से दस फीसदी बढ़ने संभावना है। ऊंचे भाव की वजह से भारत से इलायची की निर्यात मांग भी पहले की तुलना में घटी है। ऐसे में अगस्त तक इलायची के मौजूदा दामों में करीब 15 से 17 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है।सैमेक्स एजेंसी के एमडी मूलचंद रुबारल ने बताया कि जुलाई महीने में नीलामी केंद्रों पर नई इलायची की आवक शुरू हो जाएगी। इस समय उत्पादक क्षेत्रों में हो रही बारिश को देखते हुए नए सीजन में इलायची की पैदावार में पांच से सात फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान है। चालू सीजन में देश में इलायची का उत्पादन करीब 13,200 टन का हुआ है। मौसम अनुकूल रहा तो नए सीजन में पैदावार बढ़कर 14,000 टन के करीब होने की संभावना है। अगस्त में नीलामी केंद्रों पर आवक का दबाव बनने के बाद कीमतों में 250 से 300 रुपये प्रति किलो की गिरावट आने की संभावना है। केरल की कुमली मंडी स्थित मैसर्स अग्रवाल स्पाइसेज के प्रोपराइटर अरुण अग्रवाल ने बताया कि नीलामी केंद्रों पर इलायची की साप्ताहिक आवक घटने और स्टॉकिस्टों की खरीद से इलायची के दाम रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। पिछले ख्म्-फ्क् दिनों में नीलामी केंद्रों पर इसकी कीमतों में 80 से 90 रुपये प्रति किलो की तेजी आई है। हालांकि ऊंची कीमतों में व्यापार काफी कम हो रहा है जिससे दाम कभी भी गिर सकते हैं। मंगलवार को नीलामी में 6।5 एमएम की इलायची के भाव 1600-1625 रुपये, 7 एमएम की इलायची के भाव 1700-1730 रुपये, साढ़े सात एमएम की इलायची के भाव 1780-1800 रुपये और आठ एमएम की इलायची का भाव 1840-1850 रुपये प्रति किलो हो गए। निर्यातक अशोक पारिख ने बताया कि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय इलायची का भाव 32 से 35 डॉलर प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। जबकि ग्वाटेमाला की इलायची का भाव 26 से 28 डॉलर प्रति किलो है। दाम ऊंचे होने के कारण भारत से निर्यात मांग पहले की तुलना में कम हुई है।वैसे भी अगले 20-25 दिनों में नई फसल आ जाएगी। इसलिए अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों के आयातक इंतजार करो और देखो की नीति अपना रहे हैं। उधर ग्वाटेमाला में नई इलायची की आवक अक्टूबर महीने में बनेगी। हाल ही में हुई बारिश से वहां भी नई फसल को फायदा हुआ है। चालू सीजन ग्वाटेमाला में इलायची का उत्पादन घटकर 15 हजार टन का ही हुआ है जिससे भारत से निर्यात मांग बढ़ी थी। इसीलिए कीमतें नए रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 में भारत से इलायची का रिकार्ड निर्यात हुआ है। वित्त वर्ष 2009-10 के पहले ग्यारह महीनों (अप्रैल से फरवरी) के दौरान निर्यात बढ़कर 1,750 टन का हो चुका है, जो गत वर्ष की समान अवधि के 600 टन से 192 फीसदी ज्यादा है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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