कुल पेज दृश्य

17 जून 2010

आंधी और तूफानी बारिश से रबर उत्पादन पर असर

कोच्चि 06 15, 2010
पिछले एक सप्ताह से तूफानी मॉनसून के चलते रबर उत्पादन पर असर पड़ा है। केरल के ज्यादातर इलाकों में रबर की टैपिंग रुक गई है। इससे आने वाले दिनों में कीमतों में और तेजी के अनुमान हैं। जोरदार बारिश के साथ तूफानी हवा ने टैपिंग का काम मुश्किल कर दिया है। साथ ही पेड़ भी भीगे हुए हैं। रबर उत्पादकों का कहना है कि मध्य केरल के कुछ इलाकों में तो तेज आंधी के चलते रबर के पौधों को नुकसान पहुंचा है। उत्पादन पर बुरा असर पडऩे से स्थानीय बाजारों में कीमतें भी बढ़ गई हैं। बेंचमार्क ग्रेड रबर आरएसएस-4 की कीमतें 170 रुपये प्रति किलो हो गई हैं। स्थानीय बाजारों में और तेजी के आसार हैं, क्योंकि उत्पादक आने वाले दिनों में कीमतों में और तेजी आने की उम्मीद से अपना स्टॉक रोके हुए हैं। इसकी वजह से रबर का संकट हो गया है और खपत करने वाले उद्योगों को रबर की खरीद में खासे संकट का सामना करना पड़ रहा है। पिछले 12 महीनों के दौरान रबर के स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें करीब 100 प्रतिशत बढ़ी हैं। जून 2009 में स्थानीय बाजार में आरएसएस-4 किस्म के रबर की कीमत 99 रुपये प्रति किलो थी, वहीं बैंकाक में कीमतें 82 रुपये प्रति किलो थीं। अब कीमतें बैंकाक में 165 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई हैं। केरल के विभिन्न हिस्सों से मिल रही सूचनाओं के मुताबिक इस महीने उत्पादन में 3-5 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है। वहीं अप्रैल-मई के दौरान टैपिंग में 2।9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। जून-2009 में रबर का कुल उत्पादन 54,255 टन था, जबकि जून 2008 में उत्पादन 62,200 टन हुआ था। इस समय मासिक उत्पादन अनुमानित रूप से करीब 52,000 टन है। इस साल अप्रैल और मई महीने में उत्पादन 2.9 प्रतिशत बढ़कर 108100 टन हो गया। अनुमान है कि जून महीने में उत्पादन में कमी से दबाव और बढ़ेगा और आपूर्ति की कमी की वजह से कीमतों में तेजी आएगी। पिछले वित्त वर्ष में अप्रैल-जून के दौरान उत्पादन 11.3 प्रतिशत गिरकर 159,325 टन रह गया था। देश में रबर की खपत में तेज बढ़ोतरी की वजह से मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ रहा है। यही मुख्य वजह है जिससे कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। 2009-10 की पहली तिमाही में खपत में 1.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और खपत बढ़कर 218,940 टन हो गई। वहीं इस दौरान उत्पादन में 11.3 प्रतिशत की गिरावट आई। यह स्थिति अभी भी बनी हुई है और आने वाले दिनों में भी मांग-आपूर्ति के बीच की खाईं बढऩे की उम्मीद है।इस साल अप्रैल और मई महीने में जहां उत्पादन में 2.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, खपत 9.5 प्रतिशत बढ़ी। अनुमानों के मुताबिक वार्षिक मांग की तुलना में आपूर्ति 1 लाख टन कम है। चालू वित्त वर्ष के दौरान यह अंतर बढ़कर 1.5 लाख टन होने की उम्मीद है। इस तरह से देखें तो जून महीने में हो रही तेज मॉनसूनी बारिश से रबर उपभोक्ता उद्योग की चिंता और बढ़ेगी। (बीएस हिंदी)

कोई टिप्पणी नहीं: