कुल पेज दृश्य

30 जून 2010

मानसून के लिए जुलाई से आस

मानसूनी बारिश के लिए अब सभी की उम्मीदें जुलाई के पहले सप्ताह पर टिक गई हैं। मानसून की एक सप्ताह की देरी से ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है लेकिन जुलाई में भी मानसून धोखा दे गया तो जरूर मुश्किल हो सकती है। चालू सीजन में अभी तक सामान्य से करीब 15 फीसदी कम वर्षा हुई है। देश के कुल 36 सब डिवीजनों में से 15 में सामान्य से काफी कम वर्षा हुई है।कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जुलाई के पहले सप्ताह में उत्तर भारत में मानसून सक्रिय होने की उम्मीद है। लेकिन अगर इसमें ज्यादा देरी हुई तो खरीफ फसलों की बुवाई पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि सरकार स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन योजना बना रहा है। उड़ीसा के कटक स्थित केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ। टी. के. आध्या ने बताया कि पूर्वी भारत में अच्छी वर्षा हो रही है तथा उत्तर भारत में ज्यादातर सिंचित क्षेत्र है। इसलिए एक सप्ताह की देरी से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। पश्चिमी विक्षोभ बनना शुरू हो गया है। इससे उम्मीद है कि जल्दी ही उत्तर भारत में भी मानसूनी वर्षा शुरू हो जाएगी। जुलाई में कैसी वर्षा होती है, इस पर खरीफ फसलों का भविष्य निर्भर करगा। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वरिष्ठ वैज्ञानिक (एग्रोनॉमी) डॉ. शिवाधर मिश्र ने बताया कि उत्तर भारत में किसानों ने पौध तैयार कर ली है। वर्षा न होने से पौध खराब हो रही है। आईएआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे. पी. डबास ने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों में चार जुलाई तक मानसून पहुंचने की संभावना है। इसलिए किसानों को खेत तैयार कर लेने चाहिए। जहां पानी की उपलब्धता है, वहां रोपाई शुरू कर देनी चाहिए। राजस्थान कृषि निदेशालय के अतिरिक्त निदेशक हरबंस यादव ने बताया कि आमतौर पर राज्य में 25 जून से बाजरा समेत मोटे अनाज की बुवाई शुरू हो जाती है। लेकिन मानसून की धीमी चाल के चलते अब तक किसान आसमान को टकटकी लगाए देख रहे हैं। जुलाई के पहले सप्ताह तक बारिश नहीं होती है तो प्रदेश में बाजरा समेत मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने की सरकारी योजना पर पानी फिर सकता है। दस जुलाई तक हालात में सुधार नहीं होता है तो निदेशालय को आपात योजना बनाने को विवश होना पड़ सकता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार मध्य प्रदेश में जुलाई प्रथम सप्ताह से मानसून पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा। किसान कल्याण विभाग द्वारा संचालित किसान कॉल सेंटर ने कृषकों को आवश्यक सलाह दी है। (दिल्ली से आर. एस. राणा, जयपुर से प्रमोद कुमार शर्मा एवं भोपाल से धर्मेद्र सिंह भदौरिया) (बिज़नस भास्कर)

कोई टिप्पणी नहीं: