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27 जुलाई 2010

इंडोनेशियाई कालीमिर्च ने घटाई भारत की मांग

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय काली मिर्च का भाव ऊंचा होने के कारण निर्यात मांग घट गई है। विदेशी बाजार में भारतीय काली मिर्च का भाव 4,550 डॉलर प्रति टन है जबकि वियतनाम की काली मिर्च का भाव 4,400 डॉलर प्रति टन है। इंडोनेशिया में भी नई फसल की आवक शुरू हो गई तथा इंडोनेशिया से 4,300-4,350 डॉलर प्रति टन की दर पर निर्यात सौदे हुए हैं। अक्टूबर में ब्राजील की फसल आ जाएगी। इसीलिए घरेलू बाजार में काली मिर्च की कीमतों में पिछले तीन-चार दिनों में करीब 500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। आगामी दिनों में मौजूदा कीमतों में और भी 1000-1,500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की संभावना है। बंगलुरू के काली मिर्च निर्यातक अनीश रावथर ने बताया कि भारतीय काली मिर्च का भाव अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा होने से निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है। भारतीय काली मिर्च का भाव 4,550 डॉलर प्रति टन है जबकि वियतनाम का 4,400 डॉलर और इंडानेशिया का 4,300-4,350 डॉलर प्रति टन है। इंडोनेशिया में नई फसल की आवक शुरू हो गई है जबकि अक्टूबर में ब्राजील की फसल आ जाएगी। इंडोनेशिया में काली मिर्च का उत्पादन 30 से 35 हजार टन और ब्राजील में 20 से 25 हजार टन होने की संभावना है। इन देशों की बिकवाली बढऩे से आगामी दिनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी काली मिर्च के दाम घट सकते हैं। कोच्चि स्थित केदारनाथ संस के डायरेक्टर अजय अग्रवाल ने बताया कि ऊंचे भाव पर मुनाफावसूली से काली मिर्च के दाम घटे हैं। पिछले करीब चार दिनों में काली मिर्च की कीमतों में 500 रुपये की गिरावट आ चुकी है। सोमवार को कोच्चि में एमजी-1 क्वालिटी का भाव घटकर 20,500 रुपये और अनगार्बल्ड का 19,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। 22 जुलाई को कोच्चि में एमजी-1 कालीमिर्च का भाव 21,000 रुपये और अनगार्बल्ड का भाव 20,400 रुपये प्रति क्विंटल था। उधर, एनसीडीईएक्स पर अगस्त महीने के वायदा अनुबंध में पिछले पांच दिनों में करीब 4।3 फीसदी की गिरावट आकर सोमवार को भाव 20,536 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। काली मिर्च के निर्यातक महेंद्र पारिख ने बताया कि इंडोनेशिया और ब्राजील की फसल को देखते हुए वियतनाम की बिकवाली भी बढ़ सकती है। वियतनाम के पास अभी करीब 30-35 हजार टन का स्टॉक बचा हुआ है। उन्होंने बताया कि विश्व में काली मिर्च का कुल उत्पादन करीब 2.78 लाख टन होने का अनुमान है जबकि खपत 3.20 लाख टन होने का अनुमान है। इसीलिए घरेलू बाजार में मौजूदा कीमतों में 1,000-1,500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट तो आ सकती है लेकिन भारी गिरावट की संभावना कम है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान काली मिर्च के निर्यात में पांच फीसदी की कमी आई है। इस दौरान कुल निर्यात 4,650 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4,900 टन का निर्यात हुआ था। उद्योग सूत्रों के अनुसार घरेलू बाजार में काली मिर्च का 15 से 17 हजार टन का स्टॉक ही बचा हुआ है जबकि नई फसल दिसंबर में आएगी तथा आवक का दबाव जनवरी में बनेगा। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)

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