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29 जुलाई 2010

कार्टेल बनने से वायदा में आलू के दाम धराशायी

बात पते की कार्टेल में वायदा कारोबारियों की भारी बिकवाली से हाजिर मंडियों में और ज्यादा गिरावट को बल मिलने लगा है। वायदा कारोबारी शॉर्ट सेलिंग करके मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं आलू उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है।उत्पादक राज्यों में आलू का भारी स्टॉक होने के कारण मंडियों में भाव पर दबाव बना हुआ है। लेकिन वायदा बाजार में मूल्य गिरावट ज्यादा तीखी है। वायदा कारोबारियों ने कार्टेल बनाकर बिकवाली का दबाव इतना ज्यादा बढ़ा दिया है कि अब हाजिर मंडियों में और ज्यादा गिरावट को बल मिलने लगा है। एक ओर वायदा कारोबारी शॉर्ट सेलिंग करके मुनाफा कमा रहे हैं, वहीं आलू उत्पादकों को भारी नुकसान हो रहा है। वायदा बाजार में पिछले बीस दिनों में आलू के दाम 23।8 फीसदी घट चुके हैं। जबकि इस दौरान हाजिर बाजार में भाव मात्र पांच फीसदी घटे हैं। आजादपुर मंडी में मांग के मुकाबले आवक ज्यादा हो रही है। जिससे गिरावट को बल मिल रहा है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में आलू अगस्त वायदा में पिछले बीस दिनों के दौरान करीब 23.8 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है। छह जुलाई को अगस्त महीने के वायदा अनुबंध के आलू का भाव 473 रुपये प्रति क्विंटल था, जो मंगलवार को घटकर 360 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि वायदा में कार्टेल बनाकर आलू की कीमतें घटाई जा रही हैं इसीलिए हाजिर के मुकाबले वायदा में भारी गिरावट आई है। पोटेटो ऑनियन मर्चेंट एसोसिएशन (पोमा) आजादपुर के अध्यक्ष त्रिलोकचंद शर्मा ने बताया कि मंडी में आलू की दैनिक आवक 120-125 ट्रक की हो रही है। लेकिन उत्पादक राज्यों में स्टॉक ज्यादा होने के कारण कुल आवक में से 25 से 30 फीसदी आलू के बिकवाली सौदे नहीं हो पा रहे हैं। मंडी में पिछले करीब बीस दिनों आलू की थोक कीमतों में करीब पांच फीसदी की गिरावट आई है। मंगलवार को मंडी में सादे आलू का भाव घटकर 170-220 रुपये और कम शुगर वाले आलू का भाव घटकर 240-310 रुपये प्रति 50 किलो रह गया। आगरा कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष सुदर्शन सिंघल ने बताया कि चालू सीजन में कोल्ड स्टोर में 3.60 करोड़ कट्टे (प्रति कट्टा 50 किलो) का हुआ था, जो पिछले साल की समान अवधि के 3.20 करोड़ कट्टों से ज्यादा था। पिछले तीन महीने में कोल्ड स्टोर से केवल 30 फीसदी आलू का ही उठान हो पाया है। अभी भी स्टोरों में करीब 70 फीसदी आलू रखा हुआ है। कीमतों में गिरावट आने से स्टॉकिस्टों की घबराहटपूर्ण बिकवाली बनी हुई है जिससे गिरावट को बल मिल रहा है। बनवारी लाल एंड संस के प्रोपराइटर उमेश अग्रवाल ने बताया कि अगस्त महीने में कर्नाटक में नई फसल आ जाएगी, उसके बाद हल्द्वानी की फसल आएगी। राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एंव विकास फाउंडेशन व्यापारिक सूत्रों का मानना है कि चालू सीजन में आलू का उत्पादन 335 से 350 लाख टन का हुआ है जो पिछले साल की तुलना में करीब 80 से 90 लाख टन ज्यादा है। rana@businessbhaskar.net (बीएस हिंदी)

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