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26 जुलाई 2010

मोबाइल क्रांति से खेती को भी खासा फायदा

नई दिल्ली : छोटे किसानों को मोबाइल के जरिए खेती से जुड़ी जानकारियां मिलने पर स्थिति में सुधार आने लगी है। लेकिन इसमें और काफी कुछ सुधार लाने और दायरे को व्यापक बनाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की जरूरत है। जिन राज्यों में मोबाइल से खेती के बारे जानकारी मिल रही है वहां अब भी बहुत सुधार की जरूरत है। मोबाइल सेवा उपलब्ध कराने वाले राज्यों में (अभी तक देशभर में जरूरी सेवाएं नहीं हैं) कराए गए एक स्टडी में पता चला है कि महाराष्ट्र के छोटे किसानों ने (जिनकी आमदनी 12-17,000 रुपए प्रति माह है) सूचना पाने के लिए सबसे ज्यादा फोन का इस्तेमाल किया। इससे उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में फायदा पहुंचा। फोन के सहारे किसानों को पैदावार में सुधार, कीमतों की जानकारी और बाजार में मांग के हिसाब से सप्लाई को बेहतर बनाने की जानकारी मिली। इसके अलावा उन्होंने फोन का इस्तेमाल व्यक्तिगत उद्देश्यों और मैसेजिंग के लिए भी किया। गौर करने वाली बात है उत्तर प्रदेश और राजस्थान के छोटे किसानों के बीच मोबाइल टेलीफोनी का फायदा केवल पैदावार में सुधार तक सीमित रह गया। इन राज्यों में कस्टमर सपोर्ट सर्विस कमजोर रहने से सूचनाओं का बेहतर आदान-प्रदान नहीं हो सका। भारतीय कृषि पर मोबाइल फोन से होने वाले सामाजिक-आर्थिक असर पर कराए गए अध्ययन के मुताबिक, 'इंफ्रास्ट्रक्चर में गुणात्मक सुधार और किसानों के बीच विश्वास बहाली सबसे जरूरी कदम है।' भारत में 12।73 करोड़ लोग खेती करते है। इसमें छोटे और गरीब किसानों की बड़ी आबादी है। खेती से जुड़ी जरूरी सूचनाएं उपलब्ध नहीं रहने के कारण पैदावार बढ़ाने की तरकीब और उत्पादों की सही कीमत इन लोगों को नहीं मिल पाती है। 2005 के एनएसएसओ सर्वे के मुताबिक, कृषि तकनीक और उनसे जुड़े सामानों की जानकारी केवल 40 फीसदी किसानों के पास ही है। लेखक सुरभि मित्तल का कहना है कि मोबाइल का इस्तेमाल अब भी सामाजिक उद्देश्यों के लिए ही होता है। अगर जरूरी बातों पर अमल किया गया तो मोबाइल फोन से खेती में उत्पादकता और आमदनी काफी बढ़ जाएगी। स्टडी में कहा गया है कि सही मायने में खेती में क्रांति लाने के लिए किसानों को सही समय और सही जगह पर सूचनाएं मुहैया करानी होगी। स्टडी के मुताबिक, 'बमुश्किल से किसानों को नियमित तौर पर विश्वसनीय और आधुनिक जानकारी मिल पाती है। आगे उन्हें उत्पादों की मांग से जुड़ी जानकारी देने की कोशिश भी नहीं की जाती है।' मोबाइल से मिलने वाली सूचनाओं से किसानों को फायदा पहुंचने के बाद इस सेवा का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी है। इसके बावजूद 5 एकड़ से कम जमीन रखने वाले छोटे किसानों को कई चीजों को बारे में सूचनाएं नहीं मिल पाती हैं। उन्हें कम और ज्यादा समयावधि वाले फसल के बारे में पता नहीं होता है। उन्हें फसलों की बुआई, खेती के नए तरीकों, खाद का इस्तेमाल और बाजार कीमत के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है। हालांकि, आपसी जानकारी बढ़ाने के लिए मोबाइल एक बढ़िया माध्यम बना हुआ है। छोटे किसानों को मुख्य रूप से मौसम की स्थिति, पौधों की सुरक्षा (रोग और कीट नियंत्रण) बीज और बाजार कीमत की जानकारी की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसानों के बीच कराए गए अध्ययन में पाया गया कि दोनों राज्यों के करीब 90 फीसदी किसान बीज के बारे में जानकारी मांगते हैं, जबकि 70 फीसदी किसानों को बाजार की कीमतों के बारे में जानने की दिलचस्पी रहती है। मुख्य रूप से बाजार में चल रही कीमत से उत्पाद को कब और कहां बिक्री करने की उलझन खत्म हो जाती है। इससे फसलों के पैटर्न के बारे में भी निर्णय लेना आसान हो जात है। मोबाइल सेवाओं के इस्तेमाल से बाजार की कीमत की सही जानकारी पाने के बाद किसानों को कारोबारियों के साथ अपने उत्पादों को लेकर ज्यादा मोलभाव आसान हो जाता है। खेतों में सिंचाई सुविधाओं का अभाव और बारिश पर निर्भर रहने वाली खेती के कारण किसानों के लिए मौसम की सही जानकारी ज्यादा जरूरी होती है। कुछ खास जगहों पर स्थानीय मौसम की जानकारी पाने से फसलों को फायदा पहुंचता है। अगर फसलों की कटाई के बाद और बिक्री से पहले बारिश होती है तो उससे उत्पादों को नुकसान पहुंचता है। एक अनुमान के मुताबिक, कुछ किसानों की कुल आमदनी में फसल कटाई के बाद का नुकसान 10 से 35 फीसदी होता है। (ई टी हिंदी)

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