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17 अगस्त 2010

अप्रैल-जुलाई में बासमती निर्यात सौदे 25फीसदी कम

बासमती चावल की बंपर फसल आने की संभावना का असर निर्यात पर दिखाई देने लगा है। आयातक देशों ने चावल की खरीद धीमी कर दी है। इस वजह से चालू वित्त वर्ष 2010-11 के पहले चार महीनों (अप्रैल से जुलाई) के दौरान बासमती चावल के निर्यात रजिस्ट्रेशन में 24.6 फीसदी की कमी आई है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस दौरान 9.21 लाख टन बासमती चावल निर्यात के सौदों का रजिस्ट्रेशन हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 12.22 लाख टन के निर्यात सौदों का पंजीकरण हुआ था। उन्होंने बताया कि भारत से बासमती चावल का सबसे ज्यादा आयात सऊदी अरब, कुवैत और ईरान को होता है। इन देशों के आयातकों के पास पिछले साल का बकाया स्टॉक बचा हुआ है इसीलिए भी आयात के नए सौदे पिछले साल की तुलना में कम हो रहे हैं। अगले डेढ़ महीने में भारत में घरेलू बाजार में बासमती चावल की नई फसल आ जाएगी। चालू सीजन में देश में बासमती का बंपर उत्पादन होने की संभावना है। इसलिए भी इन देशों के आयातकों ने आयात सौदे कम कर दिए हैं। एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 में भारत से कुल 31 लाख टन चावल निर्यात के सौदों का पंजीकरण हुआ था जबकि इस दौरान निर्यात 21 लाख टन का ही हुआ था। चालू वित्त वर्ष में अभी तक हुए कुल पंजीकृत सौदों में से 70 फीसदी निर्यात हो पाया है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल महीने में 2.58 लाख टन, मई में 2.14 लाख टन, जून में 2.38 लाख टन और जुलाई में 2.10 लाख टन निर्यात सौदों का पंजीकरण हुआ है जबकि अप्रैल-मई में केवल 50-50 हजार टन बासमती का ही शिपमेंट हो पाया। हालांकि जून और जुलाई में शिपमेंट बढ़कर दो-दो लाख टन हो गया। बासमती चावल निर्यातक कंपनी केआरबीएल लिमिटेड के संयुक्त प्रबंध निदेशक अनुप कुमार गुप्ता ने बताया कि इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में पूसा-1121 बासमती का भाव 1000 से 1100 डॉलर और मूल बासमती का 1500-1700 डॉलर प्रति टन चल रहा है। हालांकि अभी निर्यात मांग कमजोर है लेकिन अक्टूबर-नवंबर के बाद निर्यात मांग में तेजी आने की संभावना है।बात पते कीअगले डेढ़ महीने में घरेलू बाजार में बासमती की नई फसल आ जाएगी। चालू सीजन में बंपर उत्पादन होने की संभावना है। इसलिए इन देशों के आयातकों ने आयात सौदे कम कर दिए हैं। (Business Bhaskar...aar as raana)

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