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30 अगस्त 2010

बढ़ सकता हैं खाद्य तेलों का मूल्य

त्यौहारी मांग बढऩे से खाद्य तेलों की कीमतों में पांच से दस फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है। आयातित खाद्य तेलों क्रूड पाम ऑयल और आरबीडी पामोलीन के दाम चालू महीने में क्रमश: 16.1 फीसदी और 17.7 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। हालांकि जुलाई में खाद्य तेलों का आयात बढ़ा था लेकिन आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी से अगस्त में आयात कम होने का अनुमान है। दिल्ली वेजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेमंत गुप्ता ने बताया कि अगले सप्ताह से खाद्य तेलों में त्यौहारी मांग निकलनी शुरू हो जाएगी। इसीलिए मौजूदा कीमतों में पांच से दस फीसदी का सुधार आ सकता है। जयपुर में सरसों तेल का दाम करीब 520 रुपये प्रति 10 किलो चल रहा है। जबकि इंदौर में सोयाबीन रिफाइंड तेल का दाम 495 रुपये, हरियाणा में बिनौला तेल का भाव 465 रुपये, कांडला बंदरगाह पर क्रूड पाम तेल का भाव 415 रुपये, आरबीडी पॉमोलिन का भाव 450 रुपये और गुजरात में मूंगफली तेल का भाव 830 रुपये प्रति दस किलो है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू महीने में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है। आयातित क्रूड पाम तेल का भाव पहली जुलाई को 775 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) मुंबई पहुंच था जो इस समय बढ़कर 900 डॉलर प्रति टन हो गया है। इसी तरह से आरबीडी पॉमोलीन का भाव पहली जुलाई को 815 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) मुबई पहुंच था, जो इस समय बढ़कर 960 डॉलर प्रति टन हो गया है। साई सिमरन फूड लिमिटेड के डायरेक्टर नरेश गोयनका ने बताया कि पहले की तुलना में बंदरगाह पर खाद्य तेलों का स्टॉक कम हुआ है। हालांकि चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई बढ़ी है लेकिन अभी नई फसल आने में करीब दो महीने का समय शेष है। आयातित खाद्य तेल चूंकि महंगे पड़ रहे हैं इसलिए घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम बढऩे की संभावना है। एसईए के अनुसार पहली अगस्त को बंदरगाहों पर खाद्य तेलों का स्टॉक करीब 6.35 लाख टन का बचा हुआ था। चालू तेल वर्ष के पहले नौ महीनों (नवंबर-09 से जुलाई-10) के खाद्य तेलों के आयात में एक फीसदी की कमी आकर कुल आयात 63.38 लाख टन रहा। जुलाई महीने में देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर लगभग आठ लाख टन का हुआ है जो पिछले साल की समान अवधि के 5.96 टन से 34 फीसदी ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष के मई और जून में आयात में कमी आई थी। मई में आयात 7.51 लाख टन से घटकर 5.58 लाख टन और जून में 7.80 लाख टन से घटकर 7.32 लाख टन का ही हुआ था। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई रिपोर्ट के अनुसार चालू खरीफ में तिलहनों की बुवाई पिछले साल के 159.27 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 164.99 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। (Business Bhaskar....aar as raana)

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