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20 अगस्त 2010

आभूषण उद्योग ने अगस्त में पकड़ी रफ्तार

मुंबई August 19, 2010
भारतीय रत्न और आभूषण क्षेत्र के लिए अगस्त का महीना शानदार रहा है। आने वाले त्योहारी मौसम के मद्ïदेनजर घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में भी मांग बढ़ी है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेतों ने अमेरिकी बाजारों में मांग बढ़ाने में मदद की है। जानकार मानते हैं कि सोने के भाव में स्थिरता और सकारात्मक वैश्विक संकेतों के चलते मौजूदा रुझान पूरे वित्त वर्ष तक बने रहेंगे। गीतांजलि जेम्स के चेयरमैन मेहुल चोकसी ने कहा, 'अमेरिकी मांग में सुधार हो रहा है। वहां आभूषण बिक्री में 40 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई है।'चोकसी का कहना है कि वैश्विक खुदरा आभूषण बिक्री में अमेरिकी बाजार का योगदान करीब 40 फीसदी है। ऐसे में अमेरिकी बाजार में बिक्री बढऩा अच्छी खबर है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कई कंपनियों ने बिक्री और शुद्घ मुनाफे में शानदार बढ़त दर्ज की है। पिछले एक साल में भारत ने मजबूती से नए बाजारों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश जारी रखी है जिसकी वजह से भारतीय आभूषण उद्योग ने वैश्विक बाजार में जोरदार वापसी की है। इस समय भारत बेशक अमेरिका को आभूषणों की आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा देश है। अमेरिका अपनी जरूरत के 25 फीसदी आभूषण और हीरे भारत से आयात करता है।रत्न और आभूषण निर्यात प्रोत्साहन परिषद् (जीजेईपीसी) के चेयरमैन वसंत मेहता का कहना है कि वैश्विक बाजार में मूल्य के हिसाब से भारतीय हीरों की हिस्सेदारी भी बढ़ी है। यह 60 फीसदी से बढ़कर 70 फीसदी हो गई है। जीजेईपीसी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत से तराशे और पॉलिश किए गए हीरों का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रुपये के हिसाब से 74 फीसदी बढ़कर 27,149.66 करोड़ रुपये रहा।डॉलर के हिसाब से बढ़त और ज्यादा यानी 85.37 फीसदी है। निर्यात 59,465.9 लाख डॉलर रहा। प्रत्येक 11 में से 9 हीरे को तराशने और पॉलिश करने का काम भारत में हुआ। भारत विदेश से कच्चे हीरे और सोने के बिस्कुट का आयात करता है जिन्हें कई स्थानीय केंद्रों में तराशा और आभूषण का रूप दिया जाता है। जून तिमाही में कच्चे हीरे का आयात रुपये के हिसाब से 54.33 फीसदी बढ़कर 14,265.92 करोड़ रुपये रहा। डॉलर के हिसाब से आयात 63.09 फीसदी बढ़कर 31,020.4 लाख डॉलर रहा। सोने के बिस्कुट का आयात हालांकि गिरा है। रुपये के हिसाब से यह 36 फीसदी गिरकर 5,206.81 करोड़ रुपये और डॉलर के हिसाब से 31.79 फीसदी गिरकर 11,366.3 लाख डॉलर रहा।विश्लेषक इस गिरावट के पीछे घरेलू बाजार में पुराने सोने की भारी आपूर्ति को वजह मान रहे हैं क्योंकि इस साल घरेलू बाजार में कीमतों में उछाल पर ग्राहकों ने मुनाफावसूली की। श्रीनुज ऐंड कंपनी के समूह कार्यकारी निदेशक विशाल दोषी ने कहा, 'अप्रैल से आभूषण बिक्री में सुधार होने लगा था जो अब तक जारी है, लेकिन खास तौर से अमेरिका और एशियाई देशों में मांग उम्मीद से ज्यादा तेजी से बढ़ी है।' (BS Hindi)

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