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30 अगस्त 2010

ग्वार उत्पादन एक करोड़ बोरी

चालू वित्त वर्ष में ग्वार गम के निर्यात में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2009-10 में ग्वार गम का 2.18 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था। जबकि चालू वित्त वर्ष में ग्वार गम का निर्यात बढ़कर 2.40 लाख टन से ज्यादा होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष में अमेरिका, यूरोप और चीन की मांग बढऩे की संभावना है। ग्वार गम निर्यात में भारत की हिस्सेदारी करीब 80 फीसदी है। वर्ष 2008-09 में देश से ग्वार गम का 2.58 लाख टन का रिकार्ड निर्यात हुआ था जबकि 2007-08 में करीब 2.11 लाख टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था। जोधपुर स्थित वसुंधरा ट्रेडिंग कंपनी के डायरेक्टर मोहन लाल ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों (अप्रैल से जुलाई) के दौरान करीब 75 हजार टन गम का निर्यात हा चुका है। ग्वार गम के निर्यात में सितंबर के बाद तेजी आती है। चालू सीजन में चूंकि देश में ग्वार की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है तथा प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान और हरियाणा में मौसम भी फसल के अनुकूल है। ऐसे में ग्वार का उत्पादन भी बढ़कर एक करोड़ बोरी तक पहुंचने की संभावना है। मालूम हो कि पिछले साल प्रतिकूल मौसम से ग्वार का उत्पादन घटकर 35-40 लाख बोरी का ही हुआ था। राजस्थान में ग्वार की बुवाई बढ़कर 30 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि राज्य सरकार ने 27 लाख हैक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया था। जयभारत गम एंड केमिकल के निदेशक रविंद्र केडिय़ा ने बताया कि चालू महीन में ग्वार की कीमतों में करीब 300 रुपये और गम की कीमतों में 700 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। जोधपुर मंडी में ग्वार का भाव घटकर 2125 रुपये और गम का भाव 4700 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। ग्वार चूरी का भाव 775 रुपये और कोरमा का भाव 930-935 रुपये प्रति 75 किलो चल रहा है। उन्होंने बताया कि इस समय ग्वार का मात्र 10 से 15 लाख बोरी का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नई फसल आने में करीब डेढ़ महीने का समय शेष है। इसीलिए गिरावट का दौर रुकने की संभावना है।बात पते कीइस समय ग्वार का मात्र 10 से 15 लाख बोरी का स्टॉक बचा है जबकि नई फसल आने में करीब डेढ़ महीने का समय शेष है। इसीलिए गिरावट का दौर रुकने की संभावना है। (Business Bhaskar....aar as raana)

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