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09 अगस्त 2010

केस्टर सीड के दाम में गिरावट के आसार

तेल में ऊंचे भाव पर निर्यात मांग कम होने से केस्टर सीड की कीमतों में नरमी आई है। पिछले बीस दिनों में वायदा बाजार में केस्टर सीड के दाम 2.2 फीसदी और हाजिर में करीब एक फीसदी भाव घटे हैं। चालू सीजन में केस्टर के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है तथा अक्टूबर-नवंबर में आंध्रप्रदेश की फसल आ जायेगी। ऐसे में सितंबर महीने में केस्टर सीड की कीमतों में अच्छी गिरावट की संभावना है। वायदा में नरमी नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर निवेशकों की मुनाफावसूली से केस्टर सीड की कीमतों में नरमी आई है। पिछले बीस दिनों में वायदा बाजार में इसके दाम करीब 2.2 फीसदी घट चुके हैं। 16 जुलाई को अगस्त महीने के वायदा अनुबंध में केस्टर सीड का भाव 3,790 रुपये प्रति क्विंटल था जोकि शुक्रवार को घटकर 3,703 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। अगस्त वायदा अनुबंध में 2,310 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं। कमोडिटी विशेषज्ञ अभय लाखवान ने बताया कि ऊंचे भावों में निवेशकों की मुनाफावसूली से गिरावट को बल मिला है। दो महीने बाद नई फसल आ जायेगी इसीलिए आगामी दिनों में कीमतें और भी घट सकती हैं। बुवाई में बढ़ोतरी साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू बुवाई सीजन में जुलाई के आखिर तक केस्टर सीड की बुवाई बढ़कर 301,000 हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 218,000 हैक्टेयर से ज्यादा है। आंध्रप्रदेश में इस दौरान बुवाई बढ़कर 161,000 हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि में 90,000 हैक्टेयर से ज्यादा है। हाजिर में मांग कम नेमस्ट ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर प्रकाश भाई ने बताया कि केस्टर तेल में नए निर्यात सौदे पहले की तुलना में हो रहे हैं। इस समय निर्यातक पहले हुए सौदों की ही भरपाई कर रहे हैं। उत्पादक मंडियों में इस समय केस्टर सीड का 9-10 लाख बोरी का स्टॉक बचा हुआ है जोकि पिछले साल के मुकाबले कम तो है। लेकिन ऊंचे भावों में मांग कमजोर है। गुजरात की मंडियों में केस्टर सीड के भाव घटकर 735-740 रुपये प्रति 20 किलो और केस्टर तेल के 772 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। पिछले पंद्रह-बीस दिनों में इसकी कीमतों में करीब एक फीसदी की गिरावट आ चुकी है। आवक भी पहले की तुलना में घटकर मात्र 10 से 12 हजार बोरियों की ही रह गई है। अक्टूबर में आएगी आंध्रप्रदेश की फसल रोकन ट्रेडिंग कंपनी के प्रोपराइटर रोनक भाई ने बताया कि आंध्रप्रदेश की नई फसल की आवक अक्टूबर महीने में शुरू हो जाएगी तथा नवंबर में आवकों का दबाव बन जायेगा। इसके बाद दिसंबर में गुजरात की फसल आ जाती है तथा राजस्थान में भी नई फसल की आवक दिसंबर-जनवरी में ही होती है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में किसानों ने केस्टर सीड का ऊंचा दाम देखा है इसीलिए बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। आंध्रप्रदेश, गुजरात और राजस्थान में मौसम भी फसल के अनुकूल ही है इसीलिए चालू सीजन में केस्टर सीड और तेल के उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी की संभावना है। ऐसे में सितंबर महीने में केस्टर सीड की कीमतों में गिरावट बननी शुरू हो जायेगी। निर्यात में बढ़ोतरी सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में ही केस्टर तेल का निर्यात 83,596 टन का हो चुका है जबकि इस दौरान केस्टर खली का निर्यात भी 53.6 फीसदी बढ़कर 37,246 टन का हुआ है। विश्व में केस्टर तेल की कुल सप्लाई में भारत की हिस्सेदारी 83 फीसदी है। भारत हर साल करीब 2.75 से 2.90 लाख टन तेल का निर्यात करता है जोकि कुल उत्पादन का 60 फीसदी है। तेल निर्यात चंद्रकांत भाई ने बताया कि चालू सीजन में ऑटों सेक्टर की मांग ज्यादा रहने से निर्यात बढ़ा है। वर्ष 2009-10 में उत्पादन कम हुआ एसईए के अनुसार वर्ष 2009-10 में केस्टर की पैदावार में चार फीसदी की कमी आकर कुल उत्पादन 9.34 लाख टन होने का अनुमान है। चूंकि इस दौरान केस्टर सीड की बुवाई में 10 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 7.40 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। लेकिन प्रति हैक्टेयर उत्पादन पिछले साल से बढ़ा था। चालू सीजन में जुलाई के आखिर तक केस्टर सीड की बुवाई 301,000 हैक्टेयर में हो चुकी है जो पिछले साल की समान अवधि में 218,000 हैक्टेयर थी। बीस दिनों में वायदा बाजार में इसके दाम करीब 2.2 फीसदी घट चुके हैं। इस दौरान इसका भाव 3,790 रुपये से घटकर 3,703 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। (business Bhaskar....aar as raana)

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