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27 सितंबर 2010

कॉटन निर्यात पर टैक्स का प्रस्ताव किया

वस्त्र मंत्रालय ने देश से कॉटन के निर्यात पर 2500 रुपये प्रति टन टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है ताकि घरेलू उद्योग के लिए कॉटन की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके। कपड़ा उद्योग कॉटन के निर्यात पर पाबंदियां लगवाने के लिए जोरदार लॉबिंग कर रहा है। उद्योग की कोशिश है कि कॉटन की सस्ते दामों पर सुलभता सुनिश्चित हो।सूत्रों के अनुसार उद्योग को फायदा पहुंचाने के लिए एक कदम उठाया जा सकता है। कॉटन निर्यात के लिए सौदों का पंजीयन शुरू करने में देरी हो सकती है। पहले तय किया गया था कि एक अक्टूबर से निर्यात सौदे पंजीकृत होने वाले थे। कॉटन निर्यात के लिए सौदों को पहले टैक्सटाइल कमिश्नर के ऑफिस में पंजीकृत कराना अनिवार्य है। एक अधिकारी ने बताया कि कॉटन के निर्यात पर कम से कम 2500 रुपये प्रति टन टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया है। दूसरी ओर उद्योग कम से कम 10000 रुपये प्रति टन प्रतिबंधात्मक शुल्क लगाने की जोरदार मांग उठा रहा है।सूत्रों ने कहना है कि कॉटन निर्यात पर शुल्क और निर्यात का कोटा तय करने के मसले पर फैसला वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा लिया जाएगा। इस प्रक्रिया में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, कृषि मंत्री शरद पवार, वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और वस्त्र मंत्री दयानिधि मारन शामिल होंगे। इस मुद्दे पर फैसला 28 सितंबर को होने वाली बैठक में हो सकता है।कॉटन की घरेलू मंडियों में सप्लाई अक्टूबर से शुरू होने वाली है। इस साल रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। चालू वर्ष 2010-11 के दौरान 335 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन का उत्पादन होने की संभावना है। पिछले साल 295 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था। एक ओर जहां वस्त्र मंत्रालय सीजन की शुरूआत से ही 2500 रुपये प्रति टन शुल्क लगाने के पक्ष में है जबकि वाणिज्य सचिव ने इस माह के शुरू में कहा था कि शुल्क अभी नहीं बल्कि 55 लाख गांठ निर्यात होने के बाद लगाया जाएगा। अंतरमंत्रालयीय समिति में 55 लाख गांठ कॉटन निर्यात का कोटा तय किया गया था। बीते सीजन में चालू सितंबर माह तक देश से करीब 83 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान है। चीन में कॉटन का उत्पादन घटने के कारण भारत से निर्यात जोरों पर रहा। इसके कारण घरेलू बाजार में कॉटन के दाम तेजी से बढ़ते गए। इसी वजह से घरेलू उद्योग इसके निर्यात पर पाबंदियां लगाने के लिए लगातार दबाव बना रहा है। इस समय कॉटन का घरेलू बाजार में मूल्य 39000 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 376 किलो) चल रहा है। जबकि पिछले साल इन दिनों भाव 23000 रुपये प्रति कैंडी थे।कॉटन के मूल्य की सही दिशा का अनुमान अक्टूबर में नया सीजन शुरू होने के बाद लग पाएगा। अक्टूबर के पहले सप्ताह में मंडियों में कॉटन की सप्लाई पूरे जोरों पर शुरू हो जाएगी। अभी पंजाब की मंडियों में थोड़ी आवक शुरू हो चुकी है। पिछले मई में सरकार ने कॉटन के मूल्यों पर अंकुश लगाने के लिए पाबंदियां लगा दी थीं। लेकिन प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार समिति ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की। उसका कहना था कि कॉटन निर्यात के लिए कोटा सही समय पर तय किया जाना चाहिए।बात पते कीइस समय कॉटन का घरेलू बाजार में मूल्य 39000 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 376 किलो) चल रहा है। जबकि पिछले साल इन दिनों भाव 23000 रुपये प्रति कैंडी था। (Business Bhaskar)

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