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29 सितंबर 2010

गेहूं की स्थिरता पड़ी भारी

चाहे किसान हो या फिर स्टॉकिस्ट, इस साल किसी के लिए गेहूं का स्टॉक करना फायदे का सौदा नहीं रहा है। पिछले छह महीने में प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में गेहूं की कीमत सीमित दायरे में ही बनी हुई है। स्टॉकिस्टों का कहना है कि मौजूदा बाजार भाव पर तो उन्हें नुकसान हो रहा है। गेहूं के मूल्य स्थिर रहने के पीछे कई कारण हैं। केंद्रीय पूल में गेहूं का भारी स्टॉक बचा है। इसके अलावा पिछले महीनों में अच्छी बारिश होने के कारण अगले साल के रबी सीजन में भी गेहूं की पैदावार बेहतर रहने का अनुमान है। ऐसे में मौजूदा कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना भी नहीं है। दिल्ली में गेहूं का दाम 1,240 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं का बिक्री भाव 1,252 रुपये प्रति क्विंटल है। मथुरा स्थित श्री बालाजी फूड प्रॉडेक्ट के डायरेक्टर आर. पी. बंसल ने बताया कि अप्रैल-मई में स्टॉकिस्टों ने 1,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद की थी तथा वैट, मंडी टैक्स, बोरी और परिवहन लागत मिलाकर स्टॉकिस्ट को गेहूं का गोदाम पहुंच भाव 1,170 से 1,180 रुपये प्रति क्विंटल रहा था। छह महीने का गोदाम का किराया और ब्याज भाड़ा जोड़ दिया जाए तो यह लागत 1,220 से 1,240 रुपये प्रति क्विंटल के करीब बैठती है। जबकि उत्तर प्रदेश की मंडियों में टैक्स पेड़ गेहूं का भाव 1,240 रुपये प्रति क्विंटल और लूज में 1,100 से 1,110 रुपये प्रति क्विंटल है। लुधियाना स्थित गिल फ्लोर मिल के डायरेक्टर धमेंद्र गिल ने बताया कि अप्रैल में गेहूं का दाम 1,100 रुपये प्रति क्विंटल था इसमें 11 फीसदी के खर्च और बैग तथा परिवहन लागत, वेयरहाऊस का छह महीने का भाड़ा और पूंजी का ब्याज जोड़ा जाए तो लागत 1,250 से 1,270 रुपये प्रति क्विंटल बैठ रही है। इस समय गेहूं का भाव मिल पहुंच 1,220 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। ऐसे में स्टॉकिस्टों को नुकसान में गेहूं बेचना पड़ रहा है। हरियाणा रोलर फ्लोर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पी. सी. गुप्ता ने बताया कि स्टॉकिस्टों को उम्मीद थी कि सरकार गेहूं के निर्यात को खोल देगी। इसीलिए स्टॉकिस्टों ने स्टॉक किया था। लेकिन सरकार ने गेहूं निर्यात नहीं खोला इसलिए स्टॉकिस्टों ने बिकवाली बढ़ा दी। स्टॉकिस्ट को मौजूदा कीमतों पर भारी नुकसान हो रहा है। अलवर व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि अप्रैल में गेहूं का भाव 1,100 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि इस समय भाव 1,140 रुपये प्रति क्विंटल है। राजस्थान में गेहूं की खरीद पर 7.6 फीसदी का खर्चा आता है लेकिन बिकवाली के समय चार फीसदी वैट वापस मिल जाता है। मौजूदा कीमतों में गेहूं बेचने पर स्टॉकिस्टों को ब्याज भाड़े का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उधर किसानों को भी गेहूं रोकने का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। हालांकि उनकी भंडारण लागत थोड़ी कम पड़ती है लेकिन फायदा उन्हें भी नहीं रहा है।बात पते कीपिछले महीनों में अच्छी बारिश होने के कारण अगले साल के रबी सीजन में भी गेहूं की पैदावार बेहतर रहने का अनुमान है। ऐसे में मौजूदा कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना भी नहीं है। (Business Bhaskar.....aar as raana)

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