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16 सितंबर 2010

बागवानी क्षेत्र के लिए निदेशालय

कुन्नूर 09 15, 2010
बागवानी क्षेत्र (चाय, कॉफी, रबर) में छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए सरकार चालू वित्त वर्ष के अंत तक नया निदेशालय स्थापित करने की योजना बना रही है। इस बात की जानकारी देते हुए वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव ए के मनगोत्रा ने कहा 'छोटे उत्पादकों के लिए निदेशालय स्थापित करने की योजना अभी शुरुआती चरणों में है और इस पर विचार विमर्श जारी है। वित्त मंत्रालय पहले ही इस बात की मंजूरी दे चुकी है। किसी भी सूरत में नया निदेशालय इस वित्त वर्ष के अंत तक काम करना शुरू कर देगा।Ó मनगोत्रा ने यह भी कहा कि इस बात को लेकर आम धारणा बन चुकी है कि छोटे उत्पादकों को बड़े उत्पादकों के साथ रखे जाने की वजह से इनके हितों को नुकसान पहुंच रहा है।कुछ समय पहले ही मंत्रालय गुवाहाटी के दो छोटे चाय उत्पादकों संघों से नया निदेशालय बनाए जाने के बारे में बातचीत कर चुका है। इन उत्पादक संघों की तरफ से निदेशालय बनाए जाने के प्रस्ताव को सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। चाय क्षेत्र में रिप्लांटेशन और नई जान फूंकने के मंत्रालय के प्रयास के बारे में मनगोत्रा ने कहा 'चालू वित्त वर्ष के अंत तक हम दो फीसदी रिप्लांटेशन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं और यह लक्ष्य प्राप्त करने को लेकर हम आश्वस्त हैं।Ó चाय क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए हाल के दिनों में मंत्रालय रिप्लांटेशन पर ज्यादा ध्यान दे रही है। हालांकि, यह प्रयास अभी चाय क्षेत्र तक ही सीमित है क्योंकि यहां इसकी सबसे अधिक जरूरत महसूस की जा रही है। मनगोत्रा का कहना था 'हम कॉफी, रबर और अन्य प्लांटेशन फसलों में भी इसी तरह की योजनाएं शुरू करने के बारे में सोच रहे हैं। हमने इस मुद्दे पर बातचीत की है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में रबर और कॉफी क्षेत्रों में इन योजनाओं के शुरू होने की संभावना है।Ó देश के कुल कृषि सकल घरेलू उत्पाद में प्लांटेशन क्षेत्र का योगदान लगभग 2.53 फीसदी होता है। मौजूदा समय में यह क्षेत्र पुराने प्लांटेशन, श्रम की कमी और पुराने ढर्ऱे पर आधारित उत्पादन की वजह से खासी परेशानियों का सामना कर रहा है। इस बारे में मनगोत्रा का कहना था 'हम सभी प्लांटेशन फसलों की खेती में बढ़ रहे खर्चो से अवगत हैं। इसका समाधान तकनीक और वैज्ञानिक पद्धति के इस्तेमाल में छुपा हुआ है।Ó उन्होंने यह भी कहा कि उत्पादकों को इस क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए निर्यातोन्मुखी होना पड़ेगा। (BS Hindi)

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