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25 अक्तूबर 2010

खुले आकाश तले खाद्यान्न नहीं रखना पड़ेगा सरकार को

खुले आकाश के नीचे सरकारी अनाज सडऩे की नौबत शायद अगले साल नहीं आएगी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल से नए गोदाम बनाए जाने की योजना में कोई अड़ंगा नहीं लगा तो एक साल में 164 लाख टन अनाज रखने के लिए नए गोदाम उपलब्ध हो जाएंगे। नए गोदाम बनाने के लिए प्राप्त हुई निविदाओं के मूल्यांकन का काम अंतिम चरण में है। उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) द्वारा नवंबर मध्य नए गोदामों को मंजूरी दे दी जाएगी। निवेशकों को नए गोदाम 12 महीने के भीतर तैयार करने हैं।एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हर राज्य में एक नोडल एजेंसी बनाई गई है। हरियाणा में हेफेड को नोडल एजेंसी बनाया गया है। जबकि पंजाब में पनग्रेन ओर पंजाब स्टेट वेयर हाउस कारपोरेशन को नोडल एजेंसी बनाया गया है। राज्य सरकारों द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत दस साल के लिए संशोधित गारंटी योजना के तहत मांगी गई निविदा में निवेशकों ने काफी अच्छा उत्साह दिखाया है। पंजाब और हरियाणा में तय सीमा से क्रमश: दो और चार गुना ज्यादा क्षमता के गोदामों के लिए निविदाएं प्राप्त हुईं। इनके मूल्यांकन का काम अंतिम चरण में है। एफसीआई की उच्च स्तीय समिति की नवंबर महीने में होने वाली बैठक में गोदामों के निर्माण को मंजूरी दे दी जाएगी।हरियाणा मे एफसीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हरियाणा में 38.80 लाख टन की भंडारण क्षमता विकसित करनी है। जबकि राज्य में 120 लाख टन क्षमता के गोदाम बनाने की निविदा प्राप्त हुईं। उधर पंजाब में 51.25 लाख के गोदाम बनाने हैं जबकि निविदा 100 लाख टन क्षमता के गोदामों के लिए प्राप्त हुईं। इन राज्यों में निविदा के मूल्यांकन का काम लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि निवेशकों को गोदाम तैयार करने के लिए एक साल का समय दिया गया है। निर्माण में देरी होने पर जुर्माने का प्रावधान है। इसलिए उम्मीद है कि ज्यादातर गोदाम अगले 9 से 12 महीने में बनकर तैयार हो जाएंगे। अन्य राज्यों में राजस्थान में 2.60 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 26.81 लाख टन, मध्य प्रदेश में 2.95 लाख टन, केरल में 15 हजार टन, कर्नाटक में 6.36 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 5.56 लाख टन, तमिलनाडु में 3.45 लाख टन, महाराष्ट्र में 8.14 लाख टन, छत्तीसगढ़ में 5,000 टन, गुजरात में 3.52 लाख टन, पश्चिम बंगाल में 1.56 लाख टन, झारखंड में 1.75 लाख टन, बिहार में 3 लाख टन, हिमाचल प्रदेश में 1.42 लाख टन, जम्मू-कश्मीर में 3.61 लाख टन, उत्तराखंड में 25 हजार टन, और उड़ीसा में तीन लाख टन की भंडारण क्षमता बढ़ानी है। उन्होंने बताया कि एफसीआई के अलावा अन्य एजेंसियों और राज्य सरकारों के पास इस समय अनाज भंडारण की कुल क्षमता 308 लाख टन है। करीब 164 लाख टन की भंडारण की अतिरिक्त क्षमता मिलने के बाद कुल भंडारण क्षमता बढ़कर 472 लाख टन की हो जाएगी। पहली अक्टूबर को केंद्रीय पूल में 462.21 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक मौजूदा है जो तय मानकों 212 लाख टन बफर के दोगुने से ज्यादा है। इस लिहाज से सरकार के पास उपलब्ध अनाज से कहीं ज्यादा भंडारण क्षमता होगी। ऐसे में खुले आकाश के नीचे तिरपाल से ढककर अनाज रखने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उल्लेखनीय है कि पिछले महीनों के दौरान बारिश के दौरान खुले में रखा अनाज खराब होने के कारण सरकार को खासी आलोचना झेलनी पड़ी थी।बात पते कीखुले आकाश के नीचे तिरपाल से ढककर अनाज रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पिछले महीने बारिश के दौरान खुले में रखा अनाज खराब होने के कारण सरकार को खासी आलोचना झेलनी पड़ी थी। (Business Bhaskar.....r s rana)

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