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09 नवंबर 2010

एक माह में कपास के दाम 18 फीसदी तक बढ़ गए

निर्यातकों के साथ घरेलू मिलों की मांग बढऩे से महीने भर में ही कपास की कीमतों में करीब 18 फीसदी की तेजी आ चुकी है। शनिवार को उत्पादक मंडियों में कपास का भाव बढ़कर 4300 से 4600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। चीन के साथ ही पाकिस्तान और बांग्लादेश की आयात मांग बढऩे से अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुई यानि जिनिंग के बाद तैयार कॉटन की कीमतों में भी पिछले एक महीने में करीब 31.8 फीसदी की तेजी आ चुकी है। घरेलू मंडियों में आवक बढऩे पर दिसंबर महीने में कपास की तेजी रुकने की संभावना है। कपास के थोक कारोबारी संजीव गर्ग ने बताया कि निर्यातकों के साथ ही घरेलू मिलों की मांग से कपास की कीमतों में तेजी बनी हुई है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में पिछले एक महीने में पास की कीमतों में 700 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। शनिवार को पंजाब की मंडियों में कपास का भाव बढ़कर 4,400-4,600 रुपये, हरियाणा की मंडियों में 4,350-4,500 रुपये और राजस्थान की मंडियों में 4,300-4,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नॉर्थ इंडिया काटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि चीन के पास कॉटन का स्टॉक कम है जबकि पाकिस्तान में बाढ़ से फसल को नुकसान हुआ था। इस समय चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश की आयात मांग बराबर बनी हुई है। इसीलिए पिछले एक महीने में अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुई की कीमतों में 31.8 फीसदी की तेजी आ चुकी है। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध के भाव बढ़कर 135.52 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं। अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह में इसका भाव 102.66 सेंट प्रति पाउंड था। पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका भाव 68.07 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में विदेश में इसका भाव 62.91 सेंट प्रति पाउंड था। अहमदाबाद के व्यापारी सुरेश कुमार ने बताया कि गुजरात की मंडियों में कपास की दैनिक आवक बढ़कर करीब 45 से 50 हजार गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) की हो गई है लेकिन आवक के मुकाबले मांग ज्यादा होने से कीमतों में तेजी बनी हुई है। यहां शंकर-6 किस्म का भाव बढ़कर शनिवार को 44,600 से 44,800 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलो) हो गया। महाराष्ट्र की मंडियों में आवक 20 हजार गांठ के करीब हो रही है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन बढ़कर 325 लाख गांठ होने की संभावना है जबकि नई फसल के समय 40.50 लाख गांठ का बकाया स्टॉक था। चालू सीजन में करीब पांच लाख गांठ का आयात होने का अनुमान है। ऐसे में देश में कुल उपलब्धता 370 लाख गांठ के करीब बैठेगी। जबकि पिछले साल कुल उपलब्धता 373 लाख गांठ की थी। मिलों की खपत और निर्यात मिलाकर 315 लाख गांठ की खपत होने की संभावना है। ऐसे में अगले साल नई फसल के समय बकाया स्टॉक चालू सीजन के मुकाबले ज्यादा बचने की संभावना है।बात पते कीन्यूयार्क में दिसंबर डिलीवरी कॉटन के भाव बढ़कर 135.52 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं। पिछले साल के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसका भाव 68.07 फीसदी ज्यादा हैं। पिछले साल इन दिनों भाव 62.91 सेंट प्रति पाउंड था। (Business Bhaskar..........R S Rana)

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