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01 नवंबर 2010

ब्रांडेड मैदा और सूजी के दाम दोगुने

ब्रांड के नाम पर गेहूं के भी उत्पाद जैसे आटा, मैदा और सूजी भी बाजार में खासी महंगी बिक रही है। ब्रांडेड गेहूं उत्पाद बाजार में खुले में बिक रहे गेहूं उत्पादों के मुकाबले करीब दोगुने दाम पर बिक रहे हैं। बाजार में ब्रांडेड सूजी का भाव 35-40 रुपये प्रति किलो तक है जबकि खुली सूजी का भाव 19 से 21 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह से ब्रांडेड मैदा का भाव 32-38 रुपये प्रति किलो है जबकि खुली मैदा 18.50-20 रुपये प्रति किलो है। इसी तरह ब्रांडेड कंपनियों का आटा 17.50-20 रुपये प्रति किलो तक है जबकि लोकल मिलों का खुला आटा 15-16 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।
आहार कंज्यूमर प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की मैनेजर (बिजनेस डेवलपमेंट) रूबी कालरा ने बताया कि हमारे गेहूं उत्पादों आटा, मैदा और सूजी की कीमतें इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि हम अच्छी क्वालिटी का गेहूं खरीदते हैं। अच्छी क्वालिटी के गेहूं की कीमत ज्यादा रहती है। साथ ही पैकेजिंग और प्रोसेसिंग का अंतर होने के कारण भी ब्रांडेड उत्पादों की कीमत ज्यादा होती है। ब्रांडेड आटा, मैदा और सूजी की पैकिंग कंज्यूमर पैक में एक, पांच और दस किलो में होती है जबकि खुले गेहूं उत्पाद मिलों से 50 और 90 किलो की बोरियों में आते है।
रोलर फ्लोर मिलर्स फैडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने बताया कि ब्रांडेड कंपनियां मार्केटिंग पर ज्यादा खर्च करती हैं। इसके बाद भी ब्रांडेड कंपनियों के उत्पादों की बिक्री सीमित ही है क्योंकि ये उत्पाद उच्च और मध्यम वर्ग के ग्राहक ही खरीदते हैं। इन मिलों की लागत ज्यादा आती है। वैसे ब्रांड के नाम पर भी ये कपंनियां उपभोक्ताओं से ज्यादा दाम लेती हैं।
दिल्ली फ्लोर मिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं की कीमतें थोक बाजार में पिछले साल की तुलना में कम है, लेकिन गेहूं उत्पादों के दाम ज्यादा है। इसीलिए मिलों को पिछले साल की तुलना में मुनाफा ज्यादा हो रहा है। इस समय दिल्ली बाजार में गेहूं का दाम 1,260-1,265 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि पिछले साल इन दिनों गेहूं की कीमत 1,300-1,310 रुपये प्रति क्विंटल थी। मिल के आटे का भाव थोक बाजार में 15-16 रुपये, मैदा का भाव 18-19 रुपये और सूजी का भाव 18.50-20 रुपये प्रति किलो है। पिछले साल की समान अवधि में आटे का भाव 14-15 रुपये, मैदा का भाव 17-18 रुपये और सूजी का भाव 18 से 19 रुपये प्रति किलो था।
उन्होंने बताया कि पिछले साल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) में बिक्री शुरू नहीं की थी। जिससे थोक बाजार में गेहूं के दाम बढ़ गए थे लेकिन उत्पादों में मांग कमजोर थी। इस समय एफसीआई की ओएमएसएस के बिक्री तो चल ही रही है, साथ में खुले बाजार में भी आवक अच्छी बनी हुई है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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