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02 नवंबर 2010

गन्ना मूल्य पर मिलें आशंकित

मुंबई October 31, 2010
उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय कर करने वाली है, लेकिन इस वर्ष प्रदेश की चीनी मिलें किसानों को गन्ने का भाव 175 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा चुकाने की इच्छुक नहीं हैं। बलरामपुर चीनी के प्रबंध निदेशक और इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के अध्यक्ष विवेक सरावगी ने कहा, '175 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा एसएपी व्यावहारिक नहीं होगा और इस साल मिलें इससे ज्यादा भाव नहीं दे पाएंगी।एसएपी वह न्यूनतम भाव होता है, जिसके हिसाब से 10 फीसदी रिकवरी वाले गन्ने की खरीदारी के लिए चीनी मिलें किसानों को चुकाती हैं। एसएपी राज्य सरकार (उत्तर प्रदेश सरकार) तय करती है, जिससे प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक हित जुड़े रहते हैं। एसएपी को हर साल संशोधित किया जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से एसएपी की प्रासंगिकता खत्म होती जा रही है क्योंकि गन्ने के भाव पर स्वतंत्र बाजार की ताकतें हावी रहती हैं और इसका चढऩा या गिरना प्रदेश में गन्ने की उपलब्धता और मांग पर निर्भर होता है। पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का एसएपी 165 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, लेकिन पेराई के लिए गन्ने की कम उपलब्धता और कम उत्पादकता जैसी वजहों से चीनी मिलों को एसएपी से अधिक भाव चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ा। नतीजतन मिलों ने किसानों को गन्ने के लिए औसतन 260 रुपये प्रति क्विंटल चुकाए। यह भाव केंद्र सरकार के उचित एवं लाभकारी भाव (एफआरपी) 129.84 रुपये प्रति क्विंटल से बिलकुल स्वतंत्र था। पिछले साल मध्य सीजन के दौरान 10 फीसदी रिकवरी वाले गन्ने का भाव 280-285 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंचा था। बहरहाल, वर्ष 2010-11 के वास्ते केंद्र सरकार ने गन्ने के लिए 139.12 रुपये प्रति क्विंटल एफआरपी निर्धारित किया है। विश्लेषकों ने उम्मीद जताई है कि प्रदेश सरकार अगले सप्ताह किसी भी समय एसएपी की घोषणा कर सकती है। इस वर्ष का पेराई सीजन नवंबर के अंत तक शुरू हो जाएगा। 'द्वारिकेश शुगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सर्वकालिक निदेशक एवं कंपनी सचिव बी जे माहेश्वरी ने कहा, 'प्रदेश सरकार इस वर्ष निश्चित रूप से गन्ने का भाव बढ़ाने वाली है। अब, केवल यह जाहिर होना बाकी रह गया है कि भाव कितना बढ़ाया जाएगा। लेकिन 190 रुपये से अधिक भाव व्यावहारिक नहीं होगा।विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव वर्ष 2012 में होना है और राज्य सरकार गन्ने का एसएपी तय करते समय यह बात दिमाग में जरूर रखेगी। हालांकि इस बात के पूरे आसार हैं कि मौजूदा सीजन के लिए पेराई समय पर शुरू हो जाएगी। फसल वर्ष 2010-11 के दौरान चीनी उत्पादन 10 फीसदी बढ़कर 30 करोड़ टन से अधिक रहने की उम्मीद जताई जा रही है क्योंकि गन्ने का रकबा एवं उत्पादकता बढ़ी है। फसल वर्ष 2009-10 के दौरान कुल 27.4 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)

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