कुल पेज दृश्य

15 नवंबर 2010

मुनाफावसूली से काली मिर्च में नरमी के आसार

ऊंची कीमतों पर मुनाफावसूली होने से काली मिर्च की कीमतों में गिरावट की संभावना है। पिछले एक महीने में हाजिर बाजार में काली मिर्च के दाम 16.2 फीसदी और वायदा बाजार में 18.1 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। विश्व में काली मिर्च के उत्पादन में गिरावट की संभावना है लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि भारत में उत्पादन पिछले साल से अधिक होगी। तथा उत्पादक क्षेत्रों में दिसंबर में नई काली मिर्च की आवक शुरू हो जायेगी। इसीलिए मुनाफावसूली की वजह से मौजूदा कीमतों में गिरावट के आसार हैं।वायदा में मुनाफावसूली संभवनेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर निवशकों की खरीद से पिछले एक महीने में काली मिर्च की कीमतों में 18.1 फीसदी की तेजी आ चुकी है। शुक्रवार को एनसीडीईएक्स पर दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध के लिए काली मिर्च का भाव 21,974 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार करते देखा गया जबकि 12 अक्टूबर को इसका भाव 18,603 रुपये प्रति क्विंटल था। दिसंबर महीने के काली मिर्च के वायदा अनुबंध में 9,292 लॉट के सौदे खड़े हुए हैं। कमोडिटी विश£ेशक अभय लाखवान ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें तेज होने से घरेलू बाजार में कालीमिर्च के दाम बढ़े हैं। लेकिन कीमतें उच्चतम स्तर पर होने के कारण निवेशकों की मुनाफावसूली आ सकती है जिससे मौजूदा कीमतों में गिरावट बनने की संभावना है।घरेलू उत्पादन बढऩे की संभावनाकेदरानाथ एंड संस के डायरेक्टर अजय अग्रवाल ने बताया कि नए फसल सीजन में कालीमिर्च का घरेलू उत्पादन बढऩे की संभावना है। पिछले साल काली मिर्च का कुल उत्पादन 4,500 टन का ही हुआ था जबकि चालू सीजन में उत्पादन बढ़कर 5,000 टन से ज्यादा होने की संभावना है। नीलामी केंद्रों पर दिसंबर में नई कालीमिर्च की आवक शुरू हो जाएगी। हालांकि अभी ब्याह-शादियों का सीजन है इसीलिए मांग बराबर बनी हुई है। लेकिन नई फसल को देखते हुए अगले दस-पंद्रह दिनों में मांग कम हो सकती है साथ ही स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ सकती है। जिससे घरेलू बाजार में भी कालीमिर्च की कीमतों में नरमी आने की संभावना है।वैश्विक उत्पादन घटने का अनुमानइंटरनेशनल पीपर कम्यूनिटी (आईपीसी) की हाल ही में हुई बैठक के नतीजों के अनुसार, नए सीजन में वैश्विक स्तर पर काली मिर्च के कुल उत्पादन में कमी आने का अनुमान है। आईपीसी के मुताबिक चालू सीजन में उत्पादन घटकर 3,16,380 टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल उत्पादन 3,18,662 टन का हुआ था। प्रमुख उत्पादक देश वियतनाम में उत्पादन 95 हजार टन और इंडानेशिया में 52 हजार टन का होने का अनुमान है। वियतनाम में नई फसल की आवक मार्च महीने में बनेगी जबकि इंडोनेशिया में नई फसल जून-जुलाई में आयेगी।निर्यात घटाभारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान भारत से काली मिर्च के निर्यात में पांच फीसदी की कमी आई है। अप्रैल से अगस्त के दौरान निर्यात घटकर 7,600 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 8,000 टन का निर्यात हुआ थाऊंचे भाव पर आयातकों की मांग घटीबेंगलुरु के काली मिर्च निर्यातक अनीश रावथर ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कालीमिर्च का भाव बढ़कर 5,100 डॉलर प्रति टन (एफओबी) हो गया हैं। जबकि वियतनाम और इंडोनेशियाई काली मिर्च का भाव क्रमश: 4,900 और 4,950 डॉलर प्रति टन है। ब्राजील की काली मिर्च का भाव 4,850-4,900 डॉलर प्रति टन है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची कीमतों के कारण अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों की आयात मांग पहले की तुलना में कम हुई है।घरेलू बाजार में दाम बढ़ेबाफना इंटरप्राइजेज के सीईओ जोजॉन मोईली ने बताया कि केरल की कोच्चि मंडी में एमजी-वन क्वालिटी की काली मिर्च का भाव बढ़कर 21,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। दस अक्टूबर को कोच्चि में इसका भाव 18,500 रुपये प्रति क्विंटल था। वैश्विक स्तर पर कालीमिर्च का उत्पादन कम होने से घरेलू बाजार के साथ ही विदेशी बाजार में कीमतों में तेजी आई है। लेकिन अगले महीने घरेलू फसल आ जायेगी। नए सीजन में भारत में काली मिर्च का उत्पादन भी पिछले साल से ज्यादा होने की संभावना है। इसीलिए मौजूदा कीमतों में गिरावट आ सकती है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: