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09 नवंबर 2010

गोदाम से उठेगा अनाज तभी बनेगी बात

नई दिल्ली November 07, 2010
सरकारी गोदामों में अनाज के बढ़ते अंबार को देखते हुए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने कहा है कि अनाज के सही ढंग से भंडारण के लिए जरूरी है कि कम से कम 25 फीसदी खाद्यान्न का उठान किया जाए। सरकारी खरीद एजेंसी का अनुमान है खरीदे गए अनाज के समुचित रख-रखाव के लिए उठान कम से कम 25 फीसदी बढ़ाकर 60 टन करने की जरूरत है। तभी इस साल खाद्यान्न का रख-रखाव सुचारु रूप से हो पाएगा। नाम न उजागर करने की शर्त पर एफसीआई के एक अधिकारी ने कहा, 'खरीदे गए अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए गोदामों में जगह नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि खाद्यान्न का उठान बढ़ाया जाए। हमने कृषि एवं खाद्य मंत्रालय को इस बारे में पहले ही सूचित कर दिया है और पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश आदि राज्यों में हमने उठान बढ़ाने की दिशा में काम भी शुरू कर दिया है।' राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की सिफारिश के अनुरूप देश में अगर खाद्य सुरक्षा विधेयक लाने को मंजूरी मिल जाती है तो ऐसी स्थिति में देश में सालाना 62 टन अनाज वितरित करने की जरूरत होगी। एफसीआई ने कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार को दिए अपने प्रारंभिक अनुमान में यह बात कही है। एफसीआई के अनुसार खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद सरकारी गोदामों से खाद्यान उठाव का स्तर काफी हद तक बढऩे का अनुमान है।
बढ़ रही खरीद एफसीआई के अनुसार खरीफ विपणन सत्र में अनाज की खरीद लगातार बढ़ रही है। ऐसे में पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में जनवरी 2011 के पहले से ही खरीदे गए अनाज के भंडारण को लेकर दिक्कतें बढ़ जाएंगी। प्रारंभिक अनुमान के मुतातबिक पंजाब और आंध्र प्रदेश में अनाज भंडारण को लेकर सबसे ज्यादा मुश्किलें है। फरवरी तक कम से कम 3,00,000 टन अनाज के भंडारण के लिए जगह बनाने की जरूरत है। इसी तरह हरियाणा में जनवरी तक 70,000 टन अनाज के भंडारण के लिए भी जगह चाहिए। एफसअीआई के अधिकारियों ने कहा कि हमने कृषि एवं खाद्य मंत्री शरद पवार के समक्ष गंभीरता से इस समस्या को रखते हुए तत्काल इस संबंध में कदम उठाने का आग्रह किया है। खरीफ सत्र 2010-11 के दौरान सरकरी खरीद एजेंसियों ने 15 अक्टूबर तक चावल की कुल खरीद 2.8 टन की थी। इसमें से अकेले पंजाब में सबसे ज्यादा 2.3 टन चावल की खरीद की गई। इसी तरह हरियाणा में 0.5 टन, जबकि तमिलनाडु में करीब 26,000 टन और केरल में 16,000 टन से ज्यादा चावल की सरकारी खरीद की गई। (BS Hindi)

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