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02 नवंबर 2010

मौसम की मार से रबर की आपूर्ति घटी, बढ़ेदाम

कोच्चि November 01, 2010
प्राकृतिक रबर उत्पादक क्षेत्रों में खराब मौसम की वजह से इसके उत्पादन पर असर हो रहा है जिससे भाव में भारी तेजी आई है। यह अब 200 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक स्तर के करीब पहुंच चुका है। केरल के कोच्चि और कोट्टायम बाजार में फिलहाल आरएसएस-4 ग्रेड रबर 192 रुपये प्रति किलोग्राम भाव पर बिक रहा है। केरल के अधिकांश भागों में कई सप्ताह से लगातार हो रही बारिश के चलते प्राकृतिक रबर का पौधरोपण और टैपिंग बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस तरह पिछले 7- 8 सप्ताह से रबर उत्पादन का काम पूरी तरह ठप है। अगले दो सप्ताह तक यदि बारिश नहीं थमी तो इससे रबर उत्पादन पर भारी असर होने की आशंका है। ऐसे में इसका भाव 200 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर से भी आगे निकल सकता है। रबर उत्पादकों और डीलरों के अनुसार सुबह के समय बारिश होने से इसकी टैपिंग प्रभावित हो रही है। इसके चलते पिछले महीने रबर का उत्पादन कम रहा। एक अनुमान के मुताबिक अक्टूबर में रबर का उत्पादन लगभग 85,000 टन रहा, जबकि पिछले साल इसी महीने इसका उत्पादन 88,775 टन रहा था। मौसम बेहतर होने की स्थिति में रबर के उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार होगा। ऐसे में भाव 200 रुपये प्रति किलो के मनोवैज्ञानिक स्तर पर पहुंचने के पहले कुछ ठंडा पड़ सकता है। वैसे बाजार जानकारों का अनुमान है कि अगले दो सप्ताह तक रबर का भाव 200 रुपये प्रति किलोग्राम का मनौवैज्ञानिक स्तर छू जाएगा। रबर के दाम वैश्विक बाजारों पर भी निर्भर रह सकते हैं। बैंकॉक बाजार में यह सोमवार को 179 रुपये प्रति किलोग्राम दर्ज किया गया। हालांकि यहां पिछले कुछ दिनों से इसके भाव में स्थिरता के बाद अचानक तेजी आई है। बैंकॉक बाजार का खास प्रभाव स्थानीय स्तर पर भी रबर के भाव पर दिखेगा। घरेलू बाजार में फिलहाल रबर की आपूर्ति का जबरदस्त संकट है। खराब मौसम की वजह से किसान रबर तत्काल बाजार में लाने की स्थिति में नहीं हैं। यहां तक कि कुछ रबर किसान भाव 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंचने का इंतजार कर रहे हैं। रबर के भाव में पिछले दो साल के दौरान आश्चर्यजनक रूप से बढ़ोतरी हुई है। नवंबर 2009 में घरेलू बाजार में यह केवल 113 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर था। वहीं नवंबर 2008 में रबर केवल 76 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बिक रहा था, जबकि फिलहाल यह 200 रुपये प्रति किलोग्राम का स्तर छूने को बेताब है। यानी दो वर्षों के दौरान इसके भाव में करीब 250 फीसदी तक की उछाल आई है, जिसका लाभ केरल और तमिलनाडु में रबर की खेती करने वाले 10 लाख से ज्यादा किसानों ने जमकर उठाया। इस बीच, रबर उत्पादन के जो ताजा संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर की अवधि रबर उत्पादन के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है। ऐसे समय इसकी टैपिंग और उत्पादन से जुड़े काम पर मौसम की मार पडऩे से पूरे साल का रबर उत्पादन प्रभावित हो सकता है।यदि नवंबर में भी बारिश की वजह से टैपिंग प्रभावित हुई तो रबर का सलाना उत्पादन करीब 45 फीसदी तक घट सकता है। पिछले साल अक्टूबर-दिसंबर के दौरान रबर का उत्पादन 2,83,125 टन रहा था। जबकि इस साल अक्टूबर में पहले ही उत्पादन घट चुका है। मौसम में सुधार नहीं हुआ तो स्थानीय बाजारों में रबर की आपूर्ति का संकट और गहरा सकता है, जिससे इसके भाव और बढ़ सकते हैं। इसलिए बाजार में रबर के भाव में स्थिरता के लिए जरूरी है कि नवंबर और दिसंबर में मौसम बेहतर हो। (BS Hindi)

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