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11 दिसंबर 2010

रबर की तेजी से छोटी कंपनियों की हालत पतली

नेचुरल रबर की कीमतों में आई भारी तेजी से टायर निर्माताओं के मुकाबले दूसरे रबर उत्पाद जैसे बेल्ट, रबर फुटवियर जैसी वस्तुएं बनाने वाली छोटी कंपनियों पर दोहरी मार पड़ रही है। इन इकाइयों का मार्जिन आठ फीसदी तक घट गया है। इसीलिए कंपनियों पर कीमतें बढ़ाने का दबाव बन गया है। पिछले छह महीने में नेचुरल रबर की कीमतों में करीब 17 फीसदी का इजाफा हो चुका है लेकिन छोटी कंपनियां अपने उत्पादों के दाम सिर्फ दो से तीन फीसदी ही दाम बढ़ा पाई हैं। इसके बावजूद अपेक्षित मांग नहीं आ रही है। वी-बेल्ट बनाने वाली कंपनी विनको ऑटो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन एम. एल. गुप्ता ने बताया कि छोटे उत्पाद बनाने वाली कंपनियों का मार्जिन आठ फीसदी तक घट गया है। कंपनियां 12 फीसदी मार्जिन तय करके चलती हैं लेकिन जिस अनुपात में कच्चे माल के दाम बढ़े हैं उसके हिसाब से उत्पादों के दाम नहीं बढ़ा पा रहे हैं। रबर की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण छोटे उत्पाद बनाने वाली इकाइयों को कच्चा माल नकद पेमेंट पर खरीदना पड़ रहा है जिससे कंपनियों पर बैंकों का कर्ज बढ़ गया है। इसीलिए कंपनियां आगामी दिनों में अपने उत्पादों की कीमतों में तीन से चार फीसदी तक बढ़ोतरी कर सकती है। फुटवियर बनाने वाली कंपनी एमबी रबर प्रा. लि. के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश जैन ने बताया कि कच्चे माल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से छोटे उत्पादकों का मार्जिन कम हो गया है। छोटी इकाइयों ने अपने उत्पादों के दाम नवंबर के अंत में दो से तीन फीसदी तक बढ़ाए थे, लेकिन बढ़ी हुई कीमतों पर आर्डर नहीं आ रहे हैं। ऐसे में कंपनियों पर दोहरी मार पड़ रही है। श्रमिकों के वेतन खर्च के साथ ही बैंक के ब्याज का बोझ भी बढ़ रहा है।लेकिन आर्डर कम आने से सप्लाई बाधित हो रही है। वर्ष 2010 में नेचुरल रबर के उत्पादन में 9 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल उत्पादन 8.90 लाख टन होने का अनुमान है लेकिन इस दौरान खपत 9.70 लाख टन होने का अनुमान है। कोट्टायम में शुक्रवार को नेचुरल रबर का भाव 188-198 रुपये प्रति किलो हो गया जबकि जून में इसकी कीमतें 168-170 रुपये प्रति किलो थी। विदेशी बाजार में नेचुरल रबर का दाम बढ़कर 200 रुपये प्रति किलो से ऊपर हो गया है। रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के डिप्टी जनरल सेक्रेटरी ए. के. गोयल ने बताया कि सिंतबर से मार्च तक नेचुरल रबर के उत्पादन का पीक समय होता है लेकिन उत्पादन अनुमान से कम हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी भाव ऊंचे चल रहे हैं इसलिए घरेलू बाजार में कीमतों पर असर पड़ रहा है। उधर ऑटोमेटिव टायर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के महानिदेशक राजीव बुद्धिराजा ने बताया कि टायर उद्योग में कुल उत्पादन की 62' खपत होती है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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