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10 दिसंबर 2010

बढ़ सकता है तिलहन उत्पादन

मुंबई December 09, 2010
मॉनसून की बेहतर स्थिति और पर्याप्त उर्वरक के इस्तेमाल की वजह से मिट्टी की बढ़ती उर्वरता के कारण इस साल तिलहन उत्पादन में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की संभावना है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के अनुमान के मुताबिक, इस साल तिलहन की पैदावार 1050 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर हो सकती है जबकि पिछले साल 955 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही थी। वैसे, साल 2007-08 तिलहन की पैदावार के मामले में अब तक का सबसे अच्छा समय रहा था, जब 1115 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की पैदावार हुई थी।एसईए के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता ने कहा - इस साल मॉनसून बेहतर रहा था, लिहाजा खरीफ सीजन में बेहतर उत्पादन की उम्मीद है। चूंकि असमय होने वाली बारिश दिसंबर महीने तक खिंच गई है, इसलिए रबी सीजन में होने वाली पैदावार भी इस साल बेहतर होने की संभावना है।भारत में औसतन 2.6-2.7 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की बुआई होती है, वहीं उत्पादकता का स्तर 1000 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जो दुनिया के औसत का आधा है। यह आंकड़ा बताता है कि उत्पादकता बढ़ाने के लिए यहां काफी मौके हैं और इस तरह से कुल उत्पादन काफी ज्यादा बढ़ सकता है।मेहता का कहना है कि अगले पांच वर्षों में हालांकि प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 1200 से 1300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर पहुंचने की संभावना है क्योंकि आर्थिक विकास की बदौलत बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को जिनेटिकली मोडिफाइड बीज अपनाने की दरकार होगी। मौजूदा समय में भारत में खाद्य तेल की कीमतें काफी कम हैं क्योंकि कच्चे खाद्य तेल पर आयात शुल्क शून्य है जबकि रिफाइंड तेल पर महज 7.5 फीसदी आयात शुल्क लगता है। जब एक बार आयात शुल्क में संशोधन होगा तो तेल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे किसान तिलहन के बुआई क्षेत्र में इजाफा करने को उत्साहित होंगे। अनुमान है कि भारत में खाद्य तेल की मांग 2015 तक 208 लाख टन तक पहुंच जाएगी, जो वर्तमान में 156 लाख टन है। इनमें एक करोड़ टन की आपूर्ति घरेलू स्रोत से होगी, जबकि बाकी तेल का आयात होगा। मेहता ने कहा - ऐसे में भारत की खाद्य तेल मांग में आयात का हिस्सा मौजूदा 51 फीसदी से बढ़कर 2015 में 53 फीसदी पर पहुंच जाएगा।इस बीच, सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड (सीओओआईटी) का अनुमान है कि हाल में समाप्त हुए खरीफ सीजन में कुल तिलहन उत्पादन 12.5 फीसदी बढ़कर 154.05 लाख टन पर पहुंच जाएगा, जो पिछले साल 136.9 लाख टन था। तिलहन के उत्पादन में बढ़ोतरी इसके रकबे में बढ़ोतरी की वजह से होगी। पिछले खरीफ सीजन में कुल रकबा 175.49 लाख हेक्टेयर रहा था जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है। सीओओआईटी का अनुमान है कि इस साल औसत उत्पादकता बढ़कर 878 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पर पहुंच जाएगा और इस तरह से पिछले साल के 783 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले इसमें 12.13 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। सीओओआईटी का अनुमान है कि इस साल कपास के बीज का उत्पादन 102.3 लाख टन पर पहुंचेगा जबकि पिछले साल 91.5 लाख टन उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)

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