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23 दिसंबर 2010

सोने की मुनाफावसूली करने के बाद कर का उत्तरदायित्व निभाना न भूलें

December 05, 2010
अगर आपके पास सोना है जिसे आप निवेश के जरिये के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं तो मुनाफा कमाने का यह सबसे सुनहरा वक्त है और आप सोने की बिक्री करके मुनाफा कमा सकते हैं। शादी-ब्याह के मौजूदा मौसम के दौरान सोने की कीमतें 24 नवंबर को प्रति 10 ग्राम 20,800 रुपये के स्तर पर पहुंच गईं। फिलहाल अभी यह इसी दायरे में चल रहा है। आपने सोने को कितने लंबे समय से और किस तरह से रखा है मुनाफा भी इसी पर निर्भर करता है और इसमें कुछ कर का प्रावधान भी होगा। राइट होराइजंस के वित्तीय सलाहकार के सीईओ अनिल रेगो का कहना है, 'जमीन और शेयरों की तरह सोने को भी परिसंपत्ति के तौर पर देखा जाता है। बिक्री से होने वाले किसी भी मुनाफे पर कर लगता है।Ó कराधान के नियम गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ), गोल्ड इक्विटी फंड और भौतिक सोने के लिए अलग-अलग होते हैं। किसी भौतिक सोने मसलन सोने के सिक्के, बिस्कुट या गहने को अगर 3 साल के भीतर बेचा जाता है तो इसके मुनाफे को लघु अवधि के पूंजीगत लाभ (एसटीसीजी) के तौर पर समझा जाता है।किसी साल में आपकी कुल आमदनी में इसे जोड़ा जाता है और आपको लागू होने वाले टैक्स स्लैब के मुताबिक कर देना पड़ेगा। करीब 3 साल के बाद भौतिक सोने की परिसंपत्तियों को बेचना एक बेहतर विचार है। डेलॉयट, हसकिंस ऐंड सेल्स के कर अधिकारी होमी मिस्त्री का कहना है, 'आप परिसंपत्ति को कितने दिन बनाए रखते हैं यह बेहद महत्वपूर्ण पहलू है और इस पर आयकर विभाग की नजर होती है।Ó करीब 3 साल बाद सोने की बिक्री पर लंबी अवधि का पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) लागू होता है। सोने की बढ़ती कीमतों के साथ धातुओं में वैकिल्पक निवेश के मौके की मांग मसलन गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड इक्विटी फंडों में भी तेजी आ रही है। गोल्ड ईटीएफ और भौतिक सोना दोनों से साल दर साल मिलने वाला रिटर्न औसतन 13 फीसदी रहा है। गोल्ड ईटीएफ का ऑफर एचडीएफसी जैसे फंड करते हैं या रेलिगेयर भौतिक सोने के बिस्कुट में निवेश करता है। निवेशक जो ईटीएफ की खरीदारी करते हैं वे फंडों के यूनिट को रखते हैं।सिंगल यूनिट का भाव एक ग्राम सोने के लगभग बराबर है। गोल्ड इक्विटी फंडों मसलन डीएसपी ब्लैकरॉक वल्र्ड गोल्ड फंड और एआइजी वल्र्ड गोल्ड फंड ऐसी योजनाएं हैं जो दूसरे अंतरराष्टï्रीय फंडों के फंड में निवेश करती हैं और वे ऐसी कंपनियों के शेयरों की खरीदारी करती है जो सोने की खदान से जुड़ी है। ईटीएफ और गोल्ड इक्विटी फंडों को डेट फंड के तौर पर रखा जाता है और उसी के मुताबिक उस पर कर लगाया जाता है। एक साल के भीतर सोने की बिक्री से एसटीसीजी लगता है। एक साल के बाद की बिक्री पर किसी भी व्यक्ति को एलटीसीजी कर का भुगतान करना होगा। इसके तहत आप या तो बिना किसी इंडेक्सेशन फायदे के 10 फीसदी कर का भुगतान करते हैं या कमाई हुई रकम पर 20 फीसदी का भुगतान करते हैं। सभी एलटीसीजी करों पर 3 फीसदी अतिरिक्त शिक्षा उपकर लगता है। अगर नई प्रत्यक्ष कर संहिता 1 अप्रैल 2012 से प्रभावी होती है तो निवेशकों को निवेश की अवधि को याद रखना चाहिए। किसी वित्तीय वर्ष के दौरान खरीदी गई परिसंपत्तियों को रखा जाता है और इसे उस वित्त वर्ष के अंत तक बनाए रखा जाता है तो उस पर आयकर स्लैब के मुताबिक ही कर लगाना चाहिए। मिसाल के तौर पर अगर किसी ने 2 लाख रुपये के सोने की बिक्री की है तो इंडेक्सेशन लागत के बाद उनका मुनाफा 80,000 रुपये होगा। कर के अलावा निवेशकों को सोने की बिक्री करते वक्त भी पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। (BS Hindi)

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