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19 जनवरी 2011

किसानों पर प्याज़ की गाज

मुंबई January 18, 2011
आम आदमी को लगातार रुला रहा प्याज अब किसानों को रुलाने जा रहा है। नई फसल की आवक से बेहतर हुई आपूर्ति के चलते बाजार में प्याज के भाव 40 फीसदी तक गिर चुके हैं। लेकिन इससे प्याज उत्पादक किसानों को नुकसान होगा जिन्हें अब 4 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम तक प्याज बेचना पड़ सकता है। देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी नाशिक में रोजाना औसतन 130 टन प्याज की आवक है जबकि 1 जनवरी को यहां मुश्किल से 71.8 टन प्याज पहुंचा था। एपीएमसी के अनुसार कुछ वक्त पहले 4,200 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकने वाले प्याज के भाव 2,300 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गए हैं। नाशिक की तरह देश की लगभग सभी प्रमुख मंडियों में प्याज की आपूर्ति बढ़ी है। दिल्ली की प्रमुख आजादपुर सब्जी मंडी में भी प्याज के भाव 2,460 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। मुंबई की थोक मंडी में भी प्याज के भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए। एपीएमसी नवी मुंबई की आलू-प्याज मंडी के निदेशक अशोक वलूंज का कहना है, 'आवक बढऩे से भाव गिर रहे हैं। नाशिक के आस-पास पैदा होने वाला प्याज मंडियों में आने लगा है जिससे आपूर्ति का संकट कम हो गया है। कीमतें जिस तेजी से गिर रही हैं उससे आम लोगों को तो फायदा होगा लेकिन किसानों को नुकसान हो सकता है।Ó कारोबारियों का कहना है कि अगले 10 दिनों में थोकमंडी में प्याज के भाव गिरकर 9 से 10 रुपये किलो तक पहुंच जाएंगे। आपूर्ति और बेहतर होने पर कीमतें और भी नीचे जा सकती हैं। इसका नुकसान किसानों को होगा क्योंकि बारिश के कारण नाशिक इलाके की 90 फीसदी प्याज की फसल खराब हो गई थी। नतीजतन, किसानों को दोबारा प्याज की बुआई करनी पड़ी थी। इधर फसल तैयार होने में देरी हुई और उधर प्याज के भाव सातवें आसमान पर चढ़ गए। इसमें किसानों की लागत तो दोगुनी हो गई लेकिन उन्हें कम प्रतिफल मिलने की आशंका सता रही है।किसानों के अलावा सरकारी एजेंसियों को भी प्याज रुला सकता है। दरअसल पाकिस्तान और चीन से महंगी दरों पर खरीदा गया प्याज अब उन्हें कम कीमत पर बेचना पड़ेगा, जिससे उनका नुकसान होना भी तय है। (BS Hindi)

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