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16 फ़रवरी 2011

एथनॉल का उत्पादन 30 फीसदी बढऩे की संभावना

असंतुलनशराब, पेट्रोलियम और केमिकल उद्योग की मांग से एथनॉल के दाम ज्यादालेकिन शीरे की मांग कम होने से इसके मूल्य में गिरावटचालू पेराई सीजन में एथनॉल की उपलब्धता पिछले साल से करीब 30' ज्यादा रहने की संभावना है। पिछले साल एथनॉल का करीब 190 करोड़ लीटर उत्पादन हुआ था जबकि चालू सीजन में उत्पादन बढ़कर 250 करोड़ लीटर के करीब होने का अनुमान है। लेकिन पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा एथनॉल खरीद का अंतरिम मूल्य तय किए जाने से इसके दाम पिछले साल से ज्यादा है। शराब, पेट्रोलियम और केमिकल उद्योग की मांग से एथनॉल की खपत में भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है। दूसरी ओर एथनॉल का उत्पादन न करने वाली चीनी मिलों से शीरे की बिकवाली ज्यादा होने से इसके मूल्य में गिरावट आ रही है।ऑल इंडिया डिस्टीलरीज एसोसिएशन के महानिदेशक वी. के. रैना ने बताया कि चालू सीजन में शराब उद्योग की एथनॉल की खपत बढ़कर 125-130 करोड़ लीटर होने का अनुमान है। हालांकि चालू गन्ना पेराई सीजन (2010-11) में चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी से शीरे का उत्पादन भी बढ़कर 120 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में एथनॉल की कुल उपलब्धता करीब 240-250 करोड़ लीटर होने की संभावना है। सरकार ने पेट्रोल में मिलाने वाले एथनॉल की अंतरिम कीमत 27 रुपये प्रति लीटर तय कर रखी है तथा मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक पेट्रोल में पांच' एथनॉल मिलाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम कंपनियों ने चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 71 करोड़ लीटर एथनॉल खरीद की निविदा मांगी हैं। इसीलिए चालू सीजन में एथनॉल की कीमतें भी तेज बनी हुई हैं। केमिकल उद्योग में एथनॉल की खपत सालाना करीब 35 से 40 करोड़ लीटर की होती है। एथनॉल इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर दीपक देसाई ने बताया कि शराब उद्योग में 94.68 फीसदी शुद्ध एथनॉल इस्तेमाल होता है। इसे एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) में तब्दील किया जाता है। शराब कंपनियां इस समय 27 से 29 रुपये प्रति लीटर की दर से इसकी खरीद कर रही है। पेट्रोलियम कंपनियां 99.9' शुद्ध एथनॉल का उपयोग करती हैं जबकि केमिकल उद्योग में 94.68' शुद्ध एथनॉल का उपयोग होता है। केमिकल उद्योग 22 से 24 रुपये प्रति लीटर की दर से इसकी खरीद कर रहा है जबकि पिछले साल इसका भाव 17 से 20 रुपये प्रति लीटर था। मवाना शुगर लिमिटेड के बिजनेस हैड (एथनॉल) राजेश ढींगरा ने बताया कि चालू सीजन में एथनॉल की खपत तो बढ़ेगी लेकिन जिन चीनी कंपनियों के पास डिस्टीलरीज डिवीजन नहीं है। उन्हें शीरा ही बाजार में बेचना होगा। जबकि शीरे से एथनॉल बनाने की डिस्टलरी क्षमता सीमित है। उनके द्वारा शीरे की बिकवाली बढऩे से शीरे के दाम घट रहे हैं। उत्तर प्रदेश में शीरे का दाम घटकर 2,500-2,700 रुपये प्रति टन रह गए है। जबकि पिछले साल भाव बढ़कर ऊपर में 4,500-5,000 प्रति टन हो गए थे। महाराष्ट्र में शीरे का दाम इस समय 2,800 से 3,000 रुपये प्रति टन चल रहा है। उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में शीरे के कुल उत्पादन का 25' घरेलू शराब कंपनियों को बेचना अनिवार्य है। जबकि घरेलू शराब कंपनियों की मांग केवल 12 से 14' ही है। ये शराब कंपनियां शीरा खरीदकर खुद ही उपयुक्त ग्रेड का एथनॉल बनाकर इस्तेमाल करती हैं। इसीलिए मांग कमजोर होने से शीरे की कीमतों में गिरावट आई है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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