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21 फ़रवरी 2011

दूध महंगा होने से मिल्क पाउडर के भी दाम रिकार्ड स्तर पर

दूध के दाम बढऩे से स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमतें बढ़कर 165-170 रुपये प्रति किलो के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी एसएमपी की कीमतें बढ़कर 4,000 डॉलर प्रति टन हो गई हैं। मार्च के बाद दूध उत्पादन का पीक सीजन समाप्त हो जाएगा। ऐसे में दूध उत्पादों की मौजूदा कीमतों में और भी तेजी की संभावना बन रही है। स्टर्लिंग एग्रो इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर कुलदीप सलूजा ने बताया कि दूध की उपलब्धता कम होने के कारण दूध उत्पादों एसएमपी, देसी घी, पनीर और बटर ऑयल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। एसएमपी के दाम बढ़कर अभी तक के रिकार्ड स्तर 165-170 रुपये प्रति किलो के स्तर पर पहुंच गए हैं। देसी घी के दाम बढ़कर 3,300 रुपये प्रति 15 किलो, बटर आयल के दाम 155-160 रुपये, पनीर के दाम 160-165 रुपये और मावा के दाम 140-145 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। उन्होंने बताया कि मार्च के बाद दूध उत्पादन का पीक सीजन समाप्त हो जाएगा जिससे दूध की उपलब्धता और कम हो जायेगी। हैटसन एग्रो प्रोडेक्टस के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर आर सी चंद्रमोगन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूध की उपलब्धता मांग के मुकाबले कम है। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में एसएमपी के दाम बढ़कर 4,000 डॉलर प्रति टन के स्तर पर और केसिन की कीमतें बढ़कर 9,500-10,000 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई हैं। प्रमुख उत्पादक राज्यों में दूध के दाम बढ़कर 26 से 29 रुपये प्रति लीटर हो गए हैं जिसका असर दूध उत्पादों की कीमतों पर पड़ रहा है। पिछले साल भर के दौरान थोक में दूध की कीमतों में 12 फीसदी की तेजी आ चुकी है। वैसे भी मार्च तक दूध की उपलब्धता बराबर रहेगी, लेकिन अप्रैल के बाद दूध की उपलब्धता कम हो जायेगी। जिससे मौजूदा कीमतों में गिरावट की संभावना नहीं है। सरकार ने दूध उत्पादों एसएमपी, डब्लूएमपी, डेयरी व्हाइटनर और शिशु दूध उत्पादों के निर्यात पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। कुलदीप सालुजा ने कहा कि सरकार का निर्यात पर रोक का निर्णय देरी से लिया गया कदम है। इससे कीमतों में आ रही तेजी कुछ समय के लिए रुक जायेगी। इंडियन डेयरी एसोसिएशन के चेयरमैन एन आर भसीन ने बताया कि देश में दूध का सालाना उत्पादन करीब 11.4 करोड़ टन का है जबकि करीब इसके बराबर ही खपत हो जाती है। घरेलू बाजार में दाम ऊंचे होने के कारण चालू वित्त वर्ष में दूध उत्पादों का निर्यात भी कम हुआ है। एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से जून के दौरान डेयरी उत्पादों का 7,638.72 टन का निर्यात हुआ है जबकि वर्ष 2009-10 में 34,379.97 टन का निर्यात हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)

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