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21 फ़रवरी 2011

लाख कोशिशों पर भी हॉलमार्क की ओर नहीं बढ़ा रुझान

रुचि नहीं:- ग्राहकों की ओर से हॉलमार्क वाले आभूषणों की मांग ही नहीं होतीइंदौर में केवल २8 के पास लाइसेंस जबकि २,००० से ज्यादा ज्वैलरहॉलमार्क के लिए लाइसेंस का शुल्क तीन साल के लिए २५००० रुपयेबात पते की - मध्य प्रदेश के भारतीय मानक ब्यूरो के पास एक साल पहले हर महीने हॉलमार्क के लाइसेंस के लिए पांच-छह आवेदन आते थे, जो फिलहाल कम होकर एक-दो हो गये हैं। प्रदेश भर में इस समय केवल २25 ज्वैलरों के पास ही हॉलमार्क का लाइसेंस है।सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी आभूषणों के हॉलमार्क की ओर ज्वैलरों का रुझान बढ़ नहीं रहा है। देश के अन्य राज्यों के समान ही प्रदेश में भी आभूषण निर्माता इसका लाइसेंस लेने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। मध्य प्रदेश में एक साल पहले के मुकाबले लाइसेंस के लिए आवेदकों की संख्या में लगातार कमी हो रही है। मध्य प्रदेश के भारतीय मानक ब्यूरो के पास एक साल पहले हर महीने हॉलमार्क के लाइसेंस के लिए पांच-छह आवेदन आते थे, जो फिलहाल कम होकर एक-दो हो गये हैं। प्रदेश भर में इस समय केवल २25 ज्वैलरों के पास ही हॉलमार्क का लाइसेंस है। प्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी में केवल २8 लोगों के पास लाइसेंस है। जबकि केवल इंदौर में ही २,००० से ज्यादा ज्वैलर है। ये आंकड़े बताते हैं कि आभूषण निर्माता हॉलमार्क लाइसेंस लेना ही नहीं चाहते हैं। इंदौर सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हुकुम चंद सोनी बताते हैं कि ग्राहकों की ओर से हॉलमार्क वाले आभूषणों की मांग ही नहीं होती, जिसके चलते ज्वैलर इसका लाइसेंस नहीं ले रहे हैं। वो लाइसेंस लेने को एक अनावश्यक खर्चे के रुप में लेते है। सोने और चांदी के आभूषणों के लिए भारतीय मानक ब्यूरो से हॉलमार्क के लिए लाइसेंस लेना होता है। मेट्रो शहरों में इसका शुल्क तीन साल के लिए २५००० रुपये, जिलों में २०००० रुपये तथा गांवों में यह १०,००० होता है। पंजाबी सर्राफ के निदेशक सुमित आनंद कहते है कि ज्वैलर लाइसेंस नहीं लेना चाहते यह सही नहीं है। उसके लिए आवश्यक आधारभूत संरचना का अभाव है, जिसके चलते लाइसेंस के बाद आभूषणों की हॉलमार्क के लिए ज्वैलरों को काफी परेशानी होती है। प्रदेश भर में हॉलमार्क के लिए केवल तीन केन्द्र इंदौर, भोपाल और जबलपुर में हैं। भारतीय मानक ब्यूरो सुमित आनंद के इस तर्क को खारिज कर देते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो के मध्य प्रदेश के निदेशक एचएल उपेन्द्र कहते हैं कि एक केन्द्र में प्रति दिन २,००० से ज्यादा आभूषणों की हॉलमार्किंग की जा सकती है। एक केन्द्र आस-पास के तीन जिलों के लिए पर्याप्त होता है। अभी तो इन केन्द्रों में ही हॉलमार्क के लिए पर्याप्त लोग नही आ रहे है। इसलिए ज्वैलरों का यह तर्क गलत है कि आधारभूत संरचना का अभाव है। इसके अलावा हमारे पास लाइसेंस केन्द्र खोलने के लिए कोई नए आवेदन भी नही है। यह हालात तब है जब मानक ब्यूरो एक केन्द्र खोलने के लिए २५ लाख रुपये की सब्सिडी देता है। (Business Bhaskar)

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