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16 फ़रवरी 2011

विदेशी तेजी से खाद्य तेल महंगे होने की संभावना

अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दाम बढऩे से घरेलू बाजार में भी उपभोक्ताओं को ऊंचे दाम चुकाने पड़ेंगे। आयातित खाद्य तेलों की कीमतें अक्टूबर से अभी तक 15 से 32.6 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं। जबकि पिछले तीन महीने में फुटकर बाजार में खाद्य तेलों के दाम 12-20 रुपये प्रति किलो बढ़े हैं। हालांकि रबी में घरेलू तिलहनों का उत्पादन बढऩे की संभावना है लेकिन विदेशी तेजी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में और भी तेजी की संभावना है। खाद्य तेल आयातक आलोक कुमार गुप्ता ने बताया कि आयातित खाद्य तेलों के दाम अक्टूबर से अभी तक 15-32.6 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। आरबीडी पामोलीन का दाम अक्टूबर में 1,018 डॉलर प्रति टन टन था जबकि मंगलवार को भाव 1,350 डॉलर प्रति टन हो गया। क्रूड पाम तेल का भाव 967 डॉलर से बढ़कर 1,310 डॉलर, सोयाबीन डिगम का दाम 1,099 डॉलर से बढ़कर 1,355 डॉलर, सनफ्लावर डिगम का दाम 1,261 डॉलर से बढ़कर 1,450 डॉलर प्रति टन हो गया। फुटकर बाजार में पिछले तीन महीने में पामोलीन रिफाइंड और मूंगफली तेल की कीमतों में क्रमश: 20-20 रुपये की तेजी आकर भाव 75 और 140 रुपये प्रति किलो हो गए। इस दौरान सरसों तेल का भाव 69-72 रुपये से बढ़कर 82-85 रुपये, सोया तेल की कीमतें 71-73 रुपये से बढ़कर 83-85 रुपये प्रति किलो हो गए। विजय साल्वेक्स लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर विजय डाटा ने बताया कि कुल मांग का 60-65 फीसदी आयात करना पड़ता है। इसीलिए घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से बढ़ते-घटते हैं।शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में सोया तेल का भाव जुलाई में 36 सेंट प्रति पाउंड था जबकि मंगलवार को भाव 58.55 सेंट प्रति पाउंड हो गया। इस दौरान सोयाबीन का दाम 945 सेंट प्रति बुशल से बढ़कर 1,425 सेंट प्रति बुशल हो गया। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के अनुसार अर्जेंटीना में सोयाबीन उत्पादन 545 लाख टन से घटकर 505 लाख टन, ब्राजील में 690 लाख टन से घटकर 675 लाख टन, अमेरिका में 914 लाख टन से घटकर 906 लाख टन और चीन में 147 लाख टन से घटकर 144 लाख टन होने का अनुमान है। चीन का सोयाबीन आयात भी 503 लाख टन से बढ़कर 570 लाख टन होने का अनुमान है। खंडेलिया ऑयल एंड जरनल मिल्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर देवीप्रसाद खंडेलिया ने बताया कि देश में खाद्य तेलों की मांग बढ़कर सालाना 150-155 लाख टन की हो गई है लेकिन घरेलू उत्पादन 65-70 लाख टन का ही होता है। इसलिए करीब 85-88 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि देश में तिलहनों का प्रति हैक्टेयर नहीं बढ़ रहा पिछले पांच साल में देश में खाद्य तेलों के आयात में करीब 100 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। तेल वर्ष 2005-06 (नवंबर-05 से अक्टूबर-06) के दौरान 44.16 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था जबकि वर्ष 2009-10 में आयात बढ़कर 88.23 लाख टन का हो गया है। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी. वी. मेहता ने बताया कि नवंबर-दिसंबर में देश में खाद्य तेलों के आयात में 8 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान खाद्य तेलों का आयात घटकर 1,421,605 टन रह गया। (Business Bhaskar...आर.एस. राणा)

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