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16 फ़रवरी 2011

अब मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने पर जोर

नई दिल्ली February 14, 2011
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के प्रभावी क्रियान्वयन के जरिये दलहन के उत्पादन में हो रही बढ़ोतरी से उत्साहित सरकार अब इस मिशन के तहत ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज और चारे के उत्पादन में भी बढ़ोतरी की योजना बना रही है। इसके लिए आगामी बजट में कुछ महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जाने की संभावना है। दाल उत्पादन में बढ़ोतरी (ए3पी) की तर्ज पर ही ज्वार, बाजरा व पशुचारे का उत्पादन बढ़ाने के लिए कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। यह कार्यक्रम अगले एक साल के अंदर शुरू होने की उम्मीद है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक यह कार्यक्रम भी एनएफएसएम का ही एक हिस्सा होगा जिसे ए3पी और चावल तथा गेहूं का उत्पादन बढ़ाने वाले कार्यक्रम के साथ ही जोड़कर तैयार किया जाएगा। माना जा रहा है कि 28 फरवरी को पेश होने वाले आगामी बजट में इस संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण घोषणा की जा सकती है। कृषि सचिव पी के बसु ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'जैसा कि हम जानते हैं कि पिछले कुछ सालों से भारत में गेहूं और चावल का उत्पादन कुल मिलाकर स्थिर है जबकि दाल के उत्पादन में कुछ सुधार के संकेत दिख रहे हैं। इसलिए हमने यह तय किया है किदालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए तैयार किए गए कार्यक्रम को अब मोटे अनाज और चारे का उत्पादन बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यानी हमारा मुख्य जोर अब ज्वार और बाजरे के उत्पादन में बढ़ोतरी पर रहेगा। यह दोनों ही फसल देश के एक बड़े हिस्से में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है।' उन्होंने कहा कि मोटे आनाज और चारे के उत्पादन में वृद्घि का सरकार के लिए भी विशेष महत्त्व है, क्योंकि इससे देश के कुल पशुधन उत्पादन पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। भारत में पशुचारे की कुल मांग का केवल 60 फीसदी हिस्से का ही उत्पादन देश में होता है। यानी मांग पूरी करने के लिए पशुचारे के शेष भाग का विदेश से आयात होता है। पशुओं की संख्या के मामले में भारत भले ही दुनिया में पहले स्थान पर हो लेकिन पशुधन उत्पाद के मामले में यह अभी भी काफी पिछड़ा हुआ है। बसु ने कहा, 'ऐसे क्षेत्र जहां सिंचाई सुविधाओं का घोर अभाव है और किसानों को आमतौर पर सूखे की समस्या का सामना करना पड़ता है वहां मोटे अनाज और पशुचारे की फसलें उगाई जा सकती है।' (BS Hindi)

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