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03 मार्च 2011

भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए कोल्ड चेन पर जोर

देश में कृषि उपज की बर्बादी रोकने के लिए सरकार कोल्ड चेन को ज्यादा सहूलियत दे रही है। सरकार कई स्कीमों के तहत कोल्ड स्टोर और कोल्ड चेन की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। कोल्ड चेन के लिए सरकार ने 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति भी दी रखी है।
कोल्ड स्टोर और कोल्ड चेन की स्थापना के लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमएफपीआई) ने भी 11वीं पंचवर्षीय योजना में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की सहायता के लिए योजना बनाई है। इस स्कीम के तहत सामान्य क्षेत्रों में प्लांट, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य की कुल लागत का 50 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है।
पूर्वोत्तर राज्यों में 75 फीसदी तक अनुदान (अधिकतम 10 करोड़) की लागत पर दिया जाता है। कोल्ड चेन का ढांचा मजबूत होने से खाद्य वस्तुओं की छटाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग और प्रसंस्करण की सुविधा बढ़ेगी। इससे बागवानी फसलों के साथ ही जैविक उत्पाद, समुद्री उत्पाद, पोल्ट्री और डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
इससे कृषि उपज की मांग और सप्लाई का अंतर तो कम होगा। कृषि एंव सहकारिता मंत्रालय के साथ ही वाणिज्य मंत्रालय तथा राज्य भी कोल्ड चेन की स्थापना के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), कृषि और प्रसंस्करण खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (एपीडा) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।
कोल्ड चेन उद्योग के लिए 11वी पंचवर्षीय योजना में 210 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसके अलावा कोल्ड चेन उद्योग के नए प्रस्ताव के लिए 11वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि के लिए अन्य प्रस्तावों को जल्दी ही स्वीकार किया जाएगा। कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए सरकार ने 100 फीसदी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी रखी है। इसके अलावा सिंगल ब्रांड रिटेल ट्रेड में भी कुछ शर्तों के साथ 51 फीसदी एफडीआई की अनुमति है।
सरकार को मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की अनुमति के लिए एसोसिएशन, व्यापारिक संगठनों से सुझाव मिले हैं। इसका उद्देश्य रिटेल सेक्टर को मजबूती प्रदान करना, कृषि उपज की बर्बादी कम करना और उत्पादकों को लाभ पहुंचाने के साथ ही उपभोक्ताओं के हितों का ख्याल रखना है। मालूम हो कि किसान के खेत से मंडी तक पहुंचने में ही हजारों टन खाद्यान्न नष्ट हो जाता है।जबकि प्रोसिंसग में भी केवल कुल उत्पादन का 10 फीसदी ही उपयोग हो रहा है। देश में हर साल करीब 50,000 करोड़ रुपये का खाद्यान्न सही देखभाल न होने की वजह से नष्ट हो जाता है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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