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30 अप्रैल 2011

नाबार्ड सहकारी बैंकों को सस्ती ब्याज दर पर पुनर्भरण उपलब्ध कराएं

नई दिल्ली। राजस्थान के सहकारिता मंत्राी परसादी लाल मीणा ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि किसानों को सस्ती ब्याज दर पर सहकारी कर्जें उपलब्ध कराने के लिए नाबार्ड सहकारी बैंकों को 2.5 (ढ़ाई) प्रतिशत की ब्याज दर पर पुनर्भरण सुविधा उपलब्ध करावें। उन्होंने वैद्यनाथन पैकेज के तहत केन्द्र व नाबार्ड के बीच हुए सहमति पत्रा के अनुसार वैंचमार्क बिन्दुओं के क्रियान्वयन की चर्चा करते हुए राज्य की ग्राम सेवा सहकारी समितियों को जारी होने वाली शेष 25 प्रतिशत राशि 105 करोड़ रु. एवं सहकारी बैंकों के लिए 11 करोड़ 51 लाख रुपए शीघ्र जारी कराने का आग्रह किया। मीणा नई दिल्ली में बुधवार को केन्द्रीय कृषि मंत्राी शरद पवार की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान में आयोजित राज्यों के सहकारिता मंत्रियों के सम्मेलन में बोल रहे थे। सम्मेलन में सहकारिता मंत्राी मीणा के साथ राजस्थान के प्रमुख शासन सचिव सहकारिता तपेश पवार एवं रजिस्ट्रार प्रेम सिंह मेहरा भी हिस्सा ले रहे थे। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों की काश्तकारों तक सीधी पहुंच होने से लघु, सीमांत एवं जरुरतमंद किसानों सहित अधिकांश किसानों की ऋण जरुरतों को सहकारी बैंक ही पूरा करते हैं। राज्य में सहकारी बैंकों द्वारा 34 लाख 63 हजार काश्तकारों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जा चुके हैं जो प्रदेश में वाणिज्यिक, ग्रामीण एवं निजी बैंकों द्वारा कुल वितरित किसान क्रेडिट कार्डों में 60 प्रतिशत से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पिछले वर्ष 7 लाख से अधिक नए काश्तकारों सहित 22 लाख किसानों को रेकार्ड 5 हजार 500 करोड़ रु. के फसली सहकारी ऋण वितरित किए गए हैं, इस वर्ष ऋण सुविधा का और अधिक विस्तार करते हुए 6 हजार करोड़ रु. के फसली ऋण वितरित किए जाएंगे। समय पर ऋण चुकाने वाले काश्तकारों को पांच प्रतिशत और आगामी वर्ष चार प्रतिशत से ही वसूली की जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आदिवासी काश्तकारों को सहकारी फसली ऋण पर दो प्रतिशत का अतिरिक्त अनुदान देते हुए केवल दो प्रतिशत ब्याज दर पर फसली सहकारी ऋण उपलब्ध कराने का निर्णय किया है। सहकारी बैंकों के सीमित वित्तीय संसाधनों की चर्चा करते हुए सहकारिता मंत्राी मीणा ने कहा कि काश्तकारों तक अधिक से अधिक सहकारी ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सहकारी बैंकों के सहयोग के लिए केन्द्र सरकार व नाबार्ड को आगे आना होगा। उन्हांेने सहकारी ऋणों के वितरण में नाबार्ड की भागीदारी को 45 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी करने का करते हुए ब्याज अनुदान को भी 3 प्रतिशत करने की मांग की। मीणा ने सहकारी ऋणों पर ब्याज अनुदान की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए इस सुविधा का लाभ काश्तकारों तक प्रभावी तरीके से पंहुचाने और बैंकां की तरलता बनाए रखने के लिए राजस्थान की अनुमानित अनुदान राशि 75 करोड़ रु. का राज्य अपेक्स बैंक स्तर पर रिवाल्विंग फण्ड बनाने या गत वर्ष के आधार पर 75 प्रतिशत राशि अग्रिम उपलब्ध कराने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि दीर्घकालीन सहकारी साख संस्थाओं द्वारा वितरित फसली ऋणों पर भी 3 प्रतिशत ब्याज अनुदान राशि उपलब्ध कराई जावें। सहकारिता मंत्राी परसादी लाल मीणा ने वैद्यनाथन पैकेज के एमओयू की चर्चा करते हुए कहा कि पेक्स के साथ ही सहकारी बैंकों का एक साथ कम्प्यूटरीकरण पर जोर देते हुए कहा कि इससे सहकारी साख संस्थाएं भी वाणिज्यिक बैंकांे की तरह कोर बैंकिंग, ऑन लाईन बैंकिंग सुविधाआंे से जुड़ सकेगी। उन्होंने सुदूर ग्रामीण इलाकों में रसोई गैस के वितरण का कार्य पेक्स को दिलाने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्राथमिक स्तर से शीर्ष स्तर तक की अधिकांश प्रमुख सहकारी संस्थाआंे के चुनाव कराकर लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम करते हुए संचालक मण्डल को अधिकार संपन्न बनाया गया हैं। 40 फीसदी नरेगा श्रमिकों के खातों का संधारण सहकारी बैंकों द्वारा किया जा रहा है। आदिवासी जिलों में 100 नई लेम्प्स खोलने का निर्णय लिया गया है। महिला सहकारी समितियों द्वारा मिड डे मील, लगभग 500 महिला समितियांे द्वारा उपभोक्ता सामग्री एवं खाद बीज वितरण केन्द्रों का संचालन किया जा रहा है। राजस्थान सरकार सहकारिता को खासतौर से ग्रामीण विकास का प्रमुख जरिया बनाने के लिए प्रयासरत है और सहकारी सुविधाओं के विस्तार व व्यवस्था के सरलीकरण किया गया है। (Press Not)

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