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22 अप्रैल 2011

गेहूं खरीद में सरकारी एजेंसियों को करनी पड़ेगी मशक्कत

/ चंडीगढ़ April 19, 2011
खराब मौसम की वजह से गेहूं की फसल प्रभावित होने की वजह से पंजाब और हरियाणा की सरकारी खरीद एजेंसियों को इस साल थोड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। इन दोनों राज्यों में इस साल आवक कम है और केंद्र के 2.63 करोड़ टन के खरीद लक्ष्य में इनका योगदान 1.8 करोड़ टन रहने का अनुमान है। मंडी आवक के विश्लेषण के बाद पिछले साल की तुलना में काफी फर्क दिखता है। पिछले साल पंजाब में 18 अप्रैल को 61.6 लाख टन गेहूं की आवक दर्ज की गई थी लेकिन इस साल 18 अप्रैल को यह महज 9.1 लाख टन रही। इसी तारीख को हरियाणा ने पिछले साल के 48.3 लाख टन के मुकाबले 20.7 लाख टन गेहूं की आवक दर्ज की। इन दोनों राज्यों में सरकारी खरीद का अधिकांश काम 30 अप्रैल तक खत्म हो जाता है। पर खराब मौसम की वजह से इस साल सरकारी खरीद 30 अप्रैल के 10 से 15 दिन बाद तक चलने की उम्मीद है।दोनों राज्यों में कटाई में देरी की वजह यह है कि किसान मौसम ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि अनाज की नमी कम हो सके। गेहूं में 12 फीसदी नमी मान्य है। भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों ने बताया कि जो किसान खेत में फसल के सूखने का इंतजार नहीं कर सकते वे मंडियों में आढ़तियों द्वारा अनाज सूखाने की सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। करनाल के गेहूं शोध संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक खराब मौसम की वजह से उपज पर तो बहुत असर नहीं पड़ेगा लेकिन गेहूं की गुणवत्ता को लेकर सजग रहना होगा। यहां की खरीद एजेंसियों को अभी तक गेहूं पर प्रति क्विंटल 50 रुपये बोनस देने की बाबत आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। केंद्र सरकार ने 1120 रुपये प्रति क्विंटल पर 50 रुपये का बोनस देने का फैसला किया है और इसे चुनाव आयोग से भी हरी झंडी मिल गई है। होशियारपुर के एक किसान कुलविंदर सिंह ने कहा, 'एक बार घोषित होने के बाद बोनस वापस नहीं लिया जा सकता और ऐसे में हमें देर से पैसा मिलेगा।'गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम कीमत पर बेचने को किसान मजबूर हैं। कारोबारियों के मुताबिक सरकारी खरीद एजेंसियां सक्रिय नहीं हैं इसलिए उत्तर प्रदेश के किसानों को पंजाब और हरियाणा की तुलना में कम कीमत पर गेहूं बेचना पड़ रहा है। प्रदेश में कारोबारी 1100 से 1140 रुपये प्रति क्विंटल के बीच गेहूं खरीद रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में कारोबारी ज्यादा सक्रिय इसलिए नहीं हैं क्योंकि यहां न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 12 फीसदी कर लगाया जाता है। (BS Hindi)

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