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06 जून 2011

खाद्यान्न के परिवहन के लिए राष्ट्रीय योजना

नई दिल्ली June 05, 2011
खरीद के मुख्य सीजन में खाद्यान्न के परिवहन को आसान बनाने के लिए खाद्य मंत्रालय रेलवे के साथ मिलकर राष्ट्रीय योजना बना रहा है। हाल में खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने प्रधानमंत्री से इस योजना पर चर्चा की है। इसके तहत रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, खाद्य व जन वितरण प्रणाली के सचिव, भारतीय खाद्य निगम के चेयरमैन को शामिल करते हुए अलग से स्थायी तौर पर एकीकृत संयुक्त ढांचा बनाया जाएगा, जो खाद्यान्न की आवाजाही की निगरानी करेगा।केंद्रीय स्तर पर इस ढांचे की मौजूदगी के अलावा योजना के तहत ऐसा ही ढांचा राज्यों में बनाए जाने की वकालत की गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यस्तरीय ढांचे में मुख्य सचिव, एफसीआई व भारतीय रेलवे के क्षेत्रीय प्रबंधक को शामिल किया जा सकता है। इससे प्रखंड और जिला स्तर पर भी अनाज की सहज आवाजाही सुनिश्चित होगी।आंकड़ों से पता चला है कि भारतीय खाद्य निगम औसतन 250 लाख टन अनाज का परिवहन 1500 किलोमीटर तक रेल, सड़क और जलमार्ग के जरिए करता है। हालांकि सबसे ज्यादा अनाज की ढुलाई भारतीय रेल के जरिए होती है।खरीद के मुख्य सीजन में इस गतिविधि में मुश्किलें पैदा होती हैं क्योंकि अनाज की मात्रा बढ़ जाती है जबकि रेलवे वैगन की संख्या में कमी आ जाती है। गेहूं की खरीद का मुख्य सीजन अप्रैल में शुरू होता है और जून-जुलाई तक चलता है जबकि चावल के मामले में यह अक्टूबर में शुरू होता है और दिसंबर-जनवरी तक चलता है।समस्या से निपटने के लिए खाद्यान्न के राष्ट्रीय परिवहन योजना में एफसीआई में समर्पित विभाग बनाने और रेलवे को वैगन की उपलब्धता आदि का ध्यान रखने की बात कही गई है। अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय योजना के तहत खरीद के मुख्य सीजन में उत्पादक राज्यों से खपत वाले राज्यों तक अनाज के परिवहन के लिए लंबी अवधि की रणनीति तैयार की गई है। राष्ट्रीय योजना के लिए मंत्रालय जल्द ही रेलवे बोर्ड के चेयरमैन, एफसीआई चेयरमैन, संबंधित मंत्रालय के प्रतिनिधियों, अनाज खरीद की दृष्टि से पंजाब-हरियाणा जैसे प्रमुख राज्यों के खाद्य सचिवों की बैठक बुलाएगा। एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2010-11 में रेल के जरिए 3142.1 लाख टन खाद्यान्न का परिवहन हुआ, जो पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा है।यह काम करीब 12,322 रैक के जरिए संपन्न हुआ, जो पिछले साल के मुकाबले 11 फीसदी ज्यादा है। अधिकारियों ने बताया कि खाद्यान्न का अतिरेक मुख्य तौर पर उत्तरी राज्यों मसलन पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि तक सीमित है जबकि इसकी ढुलाई देश भर में होती है यानी लंबी दूरी तक इसका परिवहन होता है। बाजारों व खरीद केंद्रों पर खरीदे गए माल सबसे पहले नजदीकी डिपो में संग्रहित किए जाते हैं और तय समय में इसे हासिल करने वाले राज्यों को भेजा जाता है।साल 2010-11 में भारत में 23.58 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले 8.14 फीसदी ज्यादा है। साल 2011-12 के खरीद सीजन के पहले दो महीने में ही गेहूं की खरीद 260 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। (BS Hindi)

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