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27 अगस्त 2011

10 फीसदी बढ़ सकती हैं टायरों की कीमतें

नई दिल्ली।। ऑटो सेक्टर में सुस्ती और लागत में बढ़ोतरी टायर उद्योग को काफी परेशान कर रही है। पिछले वित्त वर्ष में उद्योग की बढ़ोतरी दर करीब 35 फीसदी जो पहली तिमाही में घटकर 12 से 14 फीसदी तक रह गई है। यही कारण है कि सितंबर-अक्टूबर तक अगर ऑटो सेल्स में तेजी न आई तो कीमतों में 10 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी से इनकार नहीं किया जा सकता। टायर मैन्युफैक्चरिंग की कुल लागत में कच्चे माल की का 70 फीसदी हिस्सेदारी होती है। पिछले वित्त वर्ष से तुलना करें तो एक साल में टायर बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पीबीआर, नायलॉन शीट, सिंथेटिक रबर जैसे कच्चे माल की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है। इससे लागत में 10 फीसदी की अतिरिक्त बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। मोदी टायर्स का अधिग्रहण करने वाली कंपनी कॉन्टिनेंटल ऑटो के बोर्ड मेंबर आलोक मोदी ने बताया, 'टायर मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों से जुड़ी इकाइयों को काफी चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति में दामों में 10 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी करने की आवश्यकता है।' हालांकि दामों में कब तक बढ़ोतरी की जा सकती है इस बात पर मोदी ने कहा कि अगले दो से तीन महीने तक दामों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी की कोई आशंका नहीं है। टायर कंपनियों के मुताबिक अगर त्योहारों के मौसम यानी सितंबर और अक्टूबर के दौरान अगर ऑटो सेल्स में तेजी नहीं आती है तो दामों में बढ़ोतरी की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। जेके टायर्स के डायरेक्टर (मार्केटिंग) ए एस मेहता के मुताबिक, 'लागत बढ़ने से ज्यादातर टायर कंपनियों की पहली तिमाही के नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं। प्रॉफिट मार्जिन में करीब 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा रही है।' मेहता ने कहा कि उद्योग में काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा है। यही वजह है कि दाम में इजाफा करने में कोई कंपनी जल्दबाजी नहीं करना चाहती। नवरात्रि और दिवाली जैसे त्योहार ऑटो सेल्स के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं। इस दौरान बिक्री में तेजी नहीं आती तो दाम बढ़ाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचेगा। उद्योग का सालाना टर्नओवर 35,000 करोड़ रुपए है। ऑटोमोटिव टायर्स मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन के डायरेक्टर जनरल राजीव बुद्धिराजा ने कहा, 'कच्चे माल की कीमतों में इजाफा टायर उद्योग के लिए परेशानी की बड़ी वजह है। रही सही कसर ब्याज दरों में वृद्धि ने पूरी कर दी है। इससे कंपनियों को बढ़ी हुई लागत का प्रबंधन करने में काफी दिक्कत आ रही है।' सिएट के प्रवक्ता के मुताबिक, 'कंपनी को कीमतें बढ़ाने की सख्त जरूरत महसूस हो रही है। हालांकि त्योहारों के बाद ही इस बारे में कोई फैसला किया जाएगा।' (ET Hindi)

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