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22 अगस्त 2011

काजू के अमेरिकी निर्यात में गिरावट


बेंगलुरु August 21, 2011
पिछले चार साल से भारत से अमेरिका को होने वाले कच्चे काजू का निर्यात लगातार घट रहा है। इस अवधि में वियतनाम के अग्रणी निर्यातक के तौर पर उभरने, देश में कच्चे काजू की किल्लत और घरेलू बाजार में बढ़ती खपत अमेरिकी निर्यात में गिरावट की प्रमुख कारण हैं।साल 2007-08 में भारत से 42,694 टन कच्चे काजू का निर्यात अमेरिका को हुआ था, जो साल 2010-11 में घटकर महज 30,100 टन रह गया है। निर्यात में 29.4 फीसदी की गिरावट आई है। साल 2010 में अमेरिका ने कुल 1.17 लाख टन काजू का आयात किया, जिसमें भारत की हिस्सेदारी 30,000 टन की थी। साल 2010-11 में अमेरिका ने 1.26 लाख टन काजू का आयात किया और इसमें भारत की भागीदारी 30,100 टन की रही।मुंबई की एक कंपनी एस ट्रेडिंग कंपनी के पंकज संपत ने कहा - पिछले दो साल से अमेरिका को होने वाले कच्चे काजू का निर्यात स्थिर हो गया है और इससे पहले दो साल (2007-08 और 2008-09) में इसमें भारी गिरावट आई थी। इस अवधि में वियतनाम ने भारत की जगह ले ली और अमेरिका का मुख्य आपूर्तिकर्ता देश बन गया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि वियतनाम ने कम कीमत पर काजू की पेशकश की। भारतीय निर्यातकों ने पिछले कुछ सालों में जापान और पश्चिम एशियाई देशों में अपना कारोबार बढ़ाया है।डॉलर के मुकाबले रुपये में बढ़त के चलते कीमत के मामले में भारतीय काजू निर्यातको की वसूली में कमी आई है। साल 2007-08 में 838 करोड़ रुपये की वसूली के मुकाबले निर्यातकों को साल 2009-10 में 806 करोड़ रुपये हासिल किया। अमेरिका को होने वाले निर्यात में कमी वित्त वर्ष 2011-12 में भी जारी रहने की संभावना है। इस वित्त वर्ष के पहले चार महीने के निर्यात आंकड़े के मुताबिक, अमेरिका ने करीब 7000 टन कच्चे काजू का आयात किया और इसकी कीमत करीब 275 करोड़ रुपये रही।मंगलूर की निर्यातक कंपनी अचल काजू के प्रबंध निदेशक गिरिधर प्रभु ने कहा - एक समय अमेरिका कच्चे काजू का सबसे बड़ा उपभोक्ता था। हालांकि पिछले कुछ सालों में भारत ने खपत की दृष्टि से अमेरिका को पीछे छोड़ दिया है। वैश्विक बाजार में अपनी मौजूदगी दर्ज करने वाला निर्यातक अमेरिका को बड़े खरीदार के रूप में देखता है और वियतनाम से भी ऐसा ही किया जब उसने साल 2003 में निर्यात शुरू किया था। इसने भारत के मुकाबले कम कीमत पर माल उपलब्ध कराया और अमेरिकी बाजार पर कब्जा कर लिया। भारत में उत्पादित 2.5 लाख टन कच्चे काजू में से 1.10 लाख टन का निर्यात होता है जबकि बाकी खपत घरेलू बाजार में होती है।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत ने करीब 65 देशों को निर्यात शुरू कर दिया है। भारतीय निर्यातकों को लिए जापान व पश्चिम एशिया बड़े व महत्वपूर्ण बाजारों के तौर पर सामने आए हैं, वहीं वियतनाम सिर्फ अमेरिका को ही निर्यात करता है। अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया भी भारत से कच्चे काजू का आयात करता था, लेकिन अब इसने भारत पर निर्भरता कम कर दी है। इसका आयात पिछले कुछ सालोंं में कुल जरूरत के 90 फीसदी से घटकर महज 10 फीसदी रह गया है।संपत ने कहा कि कच्चे काजू की उपलब्धता बढ़ाने की दरकार है। फिलहाल देश में 5 लाख टन कच्चे काजू का उत्पादन होता है जबकि यह 7 लाख टन का आयात करता है। (BS Hindi)

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