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16 सितंबर 2011

डिफॉल्टर पर लगी 5 साल की पाबंदी

मुंबई September 15, 2011
जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने डिफॉल्ट करने वाले सदस्यों के दोबारा प्रवेश पर 5 साल की पाबंदी लगा दी है। ये सदस्य 5 साल तक किसी भी एक्सचेंज की सदस्यता हासिल नहीं कर पाएंगे। 13 सितंबर को जारी निर्देश में एफएमसी ने एक्सचेंजों से कहा है कि वह डिफॉल्टर की सूचना दूसरे एक्सचेंजों के साथ साझा करे और दावों के निपटान में उनकी मदद करे ताकि वह सदस्य एक एक्सचेंज में डिफॉल्ट करने के बाद दूसरे एक्सचेंज में कारोबार न कर सके।आज के समय में एफएमसी का दिशानिर्देश इस मुद्दे पर मौन है। लेकिन साल 2003 में वायदा कारोबार की अनुमति दिए जाने के बाद से ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता जिसमें डिफॉल्ट करने वाले सदस्यों ने दोबारा पंजीकरण कराया हो। इस दिशानिर्देश से पहले हालांकि एक एक्सचेंज में डिफॉल्ट करने वाला सदस्य एक्सचेंजों के बीच सूचना के आदान प्रदान न होने और एक्सचेंजों के बीच एकरूपता नहीं होने के चलते दूसरे एक्सचेंज की सदस्यता हासिल कर लेता था और कारोबार चलाता था। चूंकि हर एक्सचेंज अपने दिशानिर्देश से संचालित होता है, लिहाजा एक एक्सचेंज का डिफॉल्टर दूसरे एक्सचेंज द्वारा कभी भी दंडित नहीं किया गया है।ऐंजल ब्रोकिंग के सहायक निदेशक (जिंस) ने कहा - यह सकारात्मक कदम है क्योंकि एक एक्सचेंज में डिफॉल्ट करने वाले सदस्य को दूसरे एक्सचेंज के प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं मिल पाएगी। एफएमसी के निर्देश में कहा गया है - अगर एक सदस्य किसी एक्सचेंज में डिफॉल्टर घोषित हुआ है तो संबंधित एक्सचेंज तत्काल दूसरे एक्सचेंजों को इस बाबत पूरी सूचना देगा। नियामक ने कहा है कि डिफॉल्ट करने वाला सदस्य अगर कंपनी हैं तो उसके मामले में कुछ कदम उठाने होंगे। इस कंपनी के प्रमोटर और इसकी हिस्सेदारी के साथ-साथ दूसरी सूचनाएं उन्हें तत्काल दूसरे एक्सचेंजों के साथ साझा करनी होगी। अगर डिफॉल्ट करने वाले ब्रोकर का सहयोगी दूसरे जिंस एक्सचेंज का सदस्य हो तो इसके खिलाफ कदम उठाने के लिए संबंधित एक्सचेंज प्रासंगिक तथ्य की जांच करने के बाद खुद फैसला लेगा। एफएमसी ने स्पष्ट किया है कि अगर डिफॉल्ट करने वाला सदस्य किसी और एक्सचेंज का सदस्य हो तो दूसरे एक्सचेंजों में भी उसे डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाना चाहिए।एक विश्लेषक ने कहा - इससे जिंस एक्सचेंजों में मजबूती आएगी और कारोबार में अतिरिक्त पारदर्शिता नजर आएगी। जिंस एक्सचेंजों में इससे वास्तविक कारोबार को प्रोत्साहन मिलेगा। एफएमसी ने कहा है कि डिफॉल्ट करने वाले सदस्य की संपत्ति का जुड़ाव उसके दायित्व से होना चाहिए और इसके जरिए हर एक्सचेंज के दावों का निपटान होना चाहिए। नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) के चीफ बिजनेस अफसर विजय कुमार ने कहा - 'कभी कभार ही कोई सदस्य डिफॉल्टर घोषित होता है। यह जरूरी नहीं है कि वह उत्पाद आधारित हो बल्कि वह घटना विशेष पर आधारित हो सकता है। अगर देर शाम किसी खास जिंसों की कीमतों में होने वाले उतारचढ़ाव के चलते मार्जिन की वसूली नहीं हो पाती है तो फिर क्लाइंट के डिफॉल्ट होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में यह एफएमसी का स्वागतयोग्य कदम है।' सभी जिंस एक्सचेंजों को अपने नियमों में उपयुक्त संशोधन करने का निर्देश एफएमसी ने दिया है। (BS Hindi)

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