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02 सितंबर 2011

सरकारी गेहूं का बिक्री भाव घटने की संभावना

आर.एस. राणा नई दिल्ली

गेहूं का उठान धीमा होने से गेहूं मूल्य 100-125 रुपये प्रति क्विंटल घटाया जा सकता है : अधिकारीकेंद्रीय पूल से गेहूं के उठान में तेजी लाने के लिए सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत भावों में कटौती कर सकती है। वर्तमान में ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री एक्विजिशन लागत (एमएसपी एवं खरीद में आने वाले अन्य खर्चे तथा परिवहन लागत को मिलाकर) के आधार पर की जा रही है।
सितंबर के बाद ओएमएसएस के तहत गेहूं के बिक्री भाव एमएसपी प्लस परिवहन लागत के आधार पर तय किए जा सकते हैं। अगर सरकार ऐसा करती है तो ओएमएसएस के तहत गेहूं के बिक्री भाव में 100-125 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आ सकती है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्रीय पूल से गेहूं का उठाव नहीं हो पा रहा है इसीलिए ओएमएसएस के तहत गेहूं की कीमतों में कटौती करने की सिफारिश की गई है।
अप्रैल के बाद से ओएमएसएस के तहत गेहूं का उठाव रुक सा गया है। जनवरी से सितंबर के दौरान ओएमएसएस के तहत बिक्री के लिए सरकार ने 12.69 लाख टन गेहूं का आवंटन किया था लेकिन 16 अगस्त तक इसमें से केवल 6.79 लाख टन गेहूं की ही बिक्री हो पाई है।
सितंबर में बिक्री की अवधि समाप्त हो रही है ऐसे में अक्टूबर से बिक्री के लिए अलग से मात्रा तय की जाएगी, साथ ही भावों में भी कटौती की जा सकती है। हालांकि इसका निर्णय खाद्य मामलों पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) की आगामी बैठक में लिया जाएगा। एफसीआई के गोदामों से गेहूं का उठाव न होने का कारण खुले बाजार के मुकाबले भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का बिक्री भाव ज्यादा होना है।
दिल्ली में ओएमएसएस के तहत निविदा भरने के लिए गेहूं का बिक्री भाव 1252.15 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि लारेंस रोड पर गेहूं 1,150-1,160 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है जोकि एमएसपी से भी कम है। चालू विपणन सीजन के लिए सरकार ने गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,170 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है।
चालू गेहूं विपणन सीजन 2011-12 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने एमएसपी पर 281.44 लाख टन गेहूं की रिकार्ड खरीद की है। केंद्रीय पूल में एक अगस्त को खाद्यान्न का कुल 611.46 लाख टन का स्टॉक मौजूद है। इसमें 358.75 लाख टन गेहूं का स्टॉक है। सरकार को खरीफ में धान की सरकारी खरीद शुरू करनी है लेकिन सरकार के गोदाम पहले से ही भरे हुए हैं। (Business Bhaskar..R S Rana)

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