कुल पेज दृश्य

12 सितंबर 2011

मॉनसून की वापसी में देरी से खरीफ फसलें होंगी प्रभावित

नई दिल्ली September 11, 2011
चार महीने की अपनी यात्रा के आखिरी चरण में दक्षिण पश्चिम मॉनसून और मजबूत नजर आ रहा है, लिहाजा देर से मॉनसून की वापसी का खरीफ की खड़ी फसल पर पडऩे वाले प्रभाव की बाबत चिंता जताई जा रही है। हालांकि मॉनसून सीजन के आखिर में बारिश की तीव्रता में बढ़ोतरी का फायदा आगामी रबी सीजन में मिलेगा क्योंकि इसके चलते मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहेगी। लेकिन अगर मॉनसून के लौटने में देरी होती है तो खरीफ उत्पादन पर इसका थोड़ा असर पड़ सकता है। दक्षिण भारत में धान की फसल को नुकसान पहुंचने की खबरें हैं। भारतीय मौसम विभाग ने कहा है कि 7 सितंबर को समाप्त हफ्ते में मध्य व दक्षिणी प्रायद्वीप के ज्यादातर हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सामान्य से ज्यादा मजबूत रहा है। इस साल 7 सितंबर तक देश मेंं कुल बारिश लंबी अवधि की औसत बारिश का 103 फीसदी रहा है। लंबी अवधि की औसत बारिश का आकलन 50 साल की औसत बारिश के आधार पर होता है और यह 89 सेंटीमीटर अनुमानित है। लंबी अवधि की औसत बारिश का 96-104 फीसदी बारिश सामान्य मानी जाती है।झमाझम बारिश का सबसे ज्यादा लाभ मध्य व दक्षिणी प्रायद्वीप को मिला है। 1 जून से 7 सितंबर तक मध्य भारत में कुल बारिश सामान्य से 12 फीसदी ज्यादा हुई है, जबकि दक्षिण भारत में सामान्य से 8 फीसदी ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई है। यह दिलचस्प है कि मौसम विभाग ने अपनी भविष्यवाणी में कहा था कि देश में सितंबर के दौरान कुल बारिश एलपीए (लंबी अवधि का औसत) का 90 फीसदी होगी। सितंबर के पहले हफ्ते में वास्तविक बारिश सामान्य से 39 फीसदी ज्यादा रही है। भविष्यवाणी में हालांकि कहा गया था कि बारिश की तीव्रता में बढ़ोतरी तभी होगी जब कमजोर ला नीना की स्थिति एक बार फिर उभरेगी। लगता है कि ला नीना की स्थिति पूरी अवधि में कमजोर बनी रहेगी।7 सितंबर को समाप्त हफ्ते में मोटे अनाज व दलहन का रकबा पिछले साल के मुकाबले क्रमश: 8.2 व 10.77 फीसदी कम रहा है। उधर, तिलहन, गन्ना और कपास का रकबा पिछले साल के मुकाबले क्रमश: 3 फीसदी, 4.2 फीसदी व 9.18 फीसदी ज्यादा रहा है। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: