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08 अक्तूबर 2011

इस साल सोने का आयात 1000 टन के पार मुमकिन

मुंबई October 07, 2011




कीमतों में करीब 30 फीसदी की बढ़ोतरी के बावजूद इस साल सोने के आयात में मजबूती की संभावना है। पिछले साल कुल 1013 टन सोने का आयात हुआ था और इस साल भी इसके समान स्तर पर बने रहने की उम्मीद है।
तिमाही दर तिमाही के आधार पर सोने का आयात 6.6 फीसदी घटा है और जुलाई-सितंबर की तिमाही में यह 286 टन से घटकर 267 टन पर आ गया है। हालांकि दूसरी तिमाही में साल दर साल के हिसाब से पारंपरिक रूप से मांग दबे रहने के बावजूद सोने के आयात में 68 फीसदी की उछाल आई है। मौजूदा त्योहारी सीजन की एकमात्र ऐसा मौका है जहां इन आंकड़ों में सुधार की संभावना है।
कीमती धातुओं के विश्लेषक संजीव अरोले ने कहा - चूंकि त्योहारी सीजन शुरू हो गया है, लिहाजा खरीदार आ रहे हैं और खरीफ की फसल बेहतर रहने की वजह से ग्रामीण इलाकों में भी सोने की खपत में तेजी बने रहने की संभावना है।
सोने के एक कारोबारी ने कहा कि कीमतों में उतारचढ़ाव के चलते ही मुख्य रूप से सोने के खरीदार बाजार से दूर रहे। करीब 26,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास कीमतें स्थिर होनी शुरू हुई तो पिछले कुछ हफ्ते में मांग फिर से जोर पकडऩे लगी, लिहाजा आयात में बढ़ोतरी होगी।
साल 2011 की पहली दो तिमाही में 563 टन सोने का आयात हुआ था, लेकिन जुलाई के बाद इसमें कमी आ गई। जुलाई-सितंबर की तिमाही भारत के लिए पारंपरिक रूप से सुस्त तिमाही होती है। साथ ही कीमतें भी इस अवधि में 28,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गई और उच्चस्तर पर पहुंचने के बाद कीमतें करीब 10 फीसदी कम हुईं।
वल्र्ड गोल्ड काउंसिल के निदेशक केयूर शाह ने कहा - साल 2011 की पहली दो तिमाही के रुख को देखते हुए और आगामी त्योहारी सीजन में मांग की संभावना को देखते हुए हम साल 2011 में भी आयात में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। यहां तक कि बॉम्बे बुलियन एसोसिएशन ने भी साल 2011 में सोने का आयात 1000 टन के पार जाने का अनुमान लगाया है।
कारोबारियों का यह भी कहना है कि अगर आयात जोर नहीं पकड़ता तो खुदरा विक्रेताओं के पास बहुत ज्यादा सोना नहीं होता। संजीव अरोले ने भी कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय कीमतें उच्च स्तर पर हैं और बावजूद इसके पुराना सोना बाजार में नहीं आ रहा है। जब कीमतें उच्चस्तर पर होती हैं तो पारंपरिक रूप से लोग इसकी बिक्री करते हैं।
विश्लेषकों ने भी कहा कि ऊंची कीमतों की वजह से उपभोक्ताओं के लिए बजट एक महत्वपूर्ण मसला था, पर हर गिरावट पर सोने के खरीदार बाजार में नजर आए। अगर कीमतों पर नजर डाली जाए तो ज्यादातर लोगों को लगता है कि यह उच्चस्तर पर बनी रहेगी और सोने की मांग भी उच्चस्तर पर बनी रहेगी। (BS Hindi)

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